Ramji Lal Suman convoy accident: समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन पर करणी सेना से जुड़ा विवाद अब और गहरा गया है। 27 अप्रैल को आगरा में सुमन के काफिले में अचानक अफरातफरी मच गई जब काफिले ने करणी सेना के कार्यकर्ताओं को देखा। काफिले की गाड़ियाँ आपस में टकरा गईं, जिससे कुछ वाहनों को नुकसान हुआ, लेकिन किसी के घायल होने की खबर नहीं आई। इस घटना ने एक बार फिर से सुमन और करणी सेना के बीच बढ़ते तनाव को उजागर किया।
यह तनाव मार्च 2025 में शुरू हुआ था, जब रामजी लाल सुमन ने संसद में 16वीं सदी के राजपूत राजा राणा सांगा को “गद्दार” कहा। सुमन का यह बयान राजपूत समुदाय, खासकर करणी सेना के लिए बेहद आपत्तिजनक साबित हुआ। उनका आरोप था कि राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था, जिससे मुगलों को भारतीय इतिहास में एक मजबूत स्थिति मिली। इस बयान के बाद, 26 मार्च 2025 को करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने सुमन के घर पर हमला किया। पथराव और तोड़फोड़ में कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए थे और पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे।
सुमन ने इसके बाद माफी मांगने से इनकार कर दिया और कहा कि वह अपने बयान पर कायम हैं। इसके परिणामस्वरूप, करणी सेना ने राज्य में विरोध प्रदर्शन तेज कर दिए थे। 12 अप्रैल को करणी सेना ने आगरा में “स्वाभिमान रैली” निकाली, जिसमें तलवारों और बंदूकों का प्रदर्शन किया गया था।
अलीगढ़ में 18 अप्रैल को करणी सेना के एक कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया गया था, जिसने सुमन की हत्या के लिए ₹25 लाख का इनाम रखा था। इसके बाद, 19 अप्रैल को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आगरा में सुमन से मुलाकात की और इसे बीजेपी की “साजिश” करार दिया। अखिलेश ने आरोप लगाया कि बीजेपी पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) समुदायों को डराने की कोशिश कर रही है।
अब, 27 अप्रैल को सुमन के काफिले में हुई दुर्घटना ने एक बार फिर सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया है, लेकिन सुमन की सुरक्षा को लेकर नई समीक्षा की जा रही है। करणी सेना और सपा के बीच जारी राजनीतिक लड़ाई ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को और ज्यादा गर्मा दिया है। फिलहाल, राज्य में तनाव की स्थिति बनी हुई है और यह देखना बाकी है कि आगे क्या घटनाएँ घटित होती हैं।