बच्चे का जन्म जब होता है तो तभी से पेरेंट्स के ऊपर जिम्मेदारियां बढ़ जाती है। जब तक बच्चा नहीं होता तो कपल का रिश्ता और उसमें फिक्र सिर्फ एक दूसरे के लिए ही रहती है लेकिन एक बच्चा कपल को परिवार बनाता है। पति-पत्नी के जीवन में बच्चा आने के बाद वो पेरेंट्स यानी अभिभावक बन जाते हैं। माता पिता के लिए बाकी काम बाद में लेकिन पहली प्राथमिकता बच्चा हो जाता है। जब बच्चा छोटा होता है तो इसे मां के स्पर्श और पिता की सुरक्षा की जरूरत होती है तो ऐसे में माता पिता अपने बच्चे को साथ ही सुलाते हैं। लेकिन बच्चे की बढ़ती उम्र के साथ ही माता पिता को उसके लालन पालन में कुछ बदलाव लाने की जरूरत होती है। इस में पहला बदलाव बच्चे को अलग सुलाना होता है। लाड-प्यार और केयर अपनी जगह है लेकिन अभिभावक बच्चों के थोड़ा बड़ा होने पर भी उनके साथ ही सोते हैं तो ये बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
बच्चे को अलग सुलाने की सही उम्र
बच्चा जब जन्म लेता है तब तो माता और पिता के साथ सोना लाजमी है और जरूरी भी। एक रिसर्च के मुताबिक तीन से चार साल के बच्चे के अभिभावक के साथ सोने पर मनोबल बढ़ता है। माता पिता के साथ बच्चे के आत्मविश्वास में बढ़ावा होता है। हालांकि इस उम्र के बाद माता–पिता को बच्चे में अकेले सोने की आदत डालनी चाहिए। इसके अलावा जब बच्चा में शारीरिक बदलाव होने लगे तो उन्हें अलग सुलाना चाहिए ताकि उन्हें कुछ स्पेस मिल सके।
क्यों सुलाएं बच्चों को अलग
दरअसल एक उम्र के बाद बच्चों का माता पिता के साथ सोना कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं को जन्म दे सकता है। माता पिता के साथ ज्यादा उम्र के बच्चे के सोने के कारण कपल्स के बीच लड़ाई-झगड़े और तनाव में बढ़ोतरी भी हो सकती है। आपका ऐसा करना आपके ही बीच झगड़े और तनाव का कारण बनते हैं। अगर आप चार-पांच साल के बच्चे को अलग लेटाना शुरु करते हैं तो वो आपके बिना सोना सीख जाते हैं।
वैसे एक रिपोर्ट के मुताबिक बड़े हो रहे बच्चों को दिन भर की थकान के बाद अच्छी नींद चाहिए होती है लेकिन एक ही बेड पर माता पिता के साथ सोने पर उनकी नींद भी पूरी नहीं हो पाती है इसलिए उनके लिए एक अलग बेड होना चाहिए ताकि वो आराम से सो सके।