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Noida में पुरानी गाड़ियों पर बड़ा एक्शन: 1 नवंबर से नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, CAQC का आदेश लागू

Noida

Noida CAQC order:  नोएडा में प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों के तहत बड़ा फैसला लिया गया है। जिले में 2 लाख से ज्यादा ऐसे वाहन हैं जो तय समय सीमा पार कर चुके हैं। अब इन गाड़ियों को 1 नवंबर 2025 से पेट्रोल-डीजल नहीं दिया जाएगा। यह आदेश केंद्रीय वायु गुणवत्ता आयोग (CAQC) द्वारा जारी किया गया है। आयोग ने सभी पेट्रोल पंपों को अक्टूबर तक ANPR (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर) कैमरे लगाने को कहा है ताकि समय सीमा पार कर चुके वाहनों की पहचान की जा सके और उन्हें फ्यूल देने से रोका जा सके।

अक्टूबर तक लगेंगे ANPR कैमरे, फ्यूल नहीं मिलेगा

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केंद्रीय वायु गुणवत्ता आयोग ने एनसीआर के 19 जिलों में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए यह सख्त आदेश जारी किया है। गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, गुड़गांव और फरीदाबाद जैसे जिलों में अब पुराने वाहनों को फ्यूल नहीं मिलेगा। इसके लिए सभी पेट्रोल पंपों पर अक्टूबर तक ANPR कैमरे लगाना जरूरी कर दिया गया है। ये कैमरे गाड़ियों की नंबर प्लेट स्कैन कर यह बताएंगे कि वाहन नियम के अनुसार चलने योग्य है या नहीं।

पेट्रोल पंप मालिकों को यह भी कहा गया है कि वे इस नियम से संबंधित पोस्टर पंप परिसर में स्पष्ट रूप से लगाएं ताकि वाहन मालिकों को जानकारी मिल सके।

स्क्रैपिंग को लेकर नोटिस जारी, अब होगी सख्ती

Noida के एआरटीओ डॉ. सियाराम वर्मा ने बताया कि जिले में सबसे ज्यादा पुराने वाहन नॉन-कॉमर्शियल पेट्रोल श्रेणी के हैं। पहले वाहन मालिकों को स्क्रैप कराने के लिए नोटिस भेजे गए थे, लेकिन बड़ी संख्या में लोगों ने इसे नजरअंदाज किया। अब केंद्रीय आदेश के तहत दोबारा नोटिस जारी होंगे और यदि इसके बाद भी स्क्रैपिंग नहीं हुई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

जिले Noida में तय उम्र पार कर चुके वाहनों का विवरण

श्रेणी मियाद वाहनों की संख्या
कॉमर्शियल डीजल वाहन 10 वर्ष 13,273
कॉमर्शियल पेट्रोल वाहन 15 वर्ष 17,975
नॉन-कॉमर्शियल डीजल वाहन 10 वर्ष 27,520
नॉन-कॉमर्शियल पेट्रोल वाहन 15 वर्ष 1,45,136
कुल वाहन 2,03,904

पुराने वाहनों पर संकट, विकल्प सिर्फ स्क्रैपिंग

1 नवंबर के बाद तय सीमा पार कर चुके वाहनों को पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा, जिससे उन्हें सड़कों पर चलाना असंभव हो जाएगा। इससे वाहन मालिकों की परेशानी बढ़ सकती है और उनके पास स्क्रैपिंग या नया वाहन खरीदने का ही विकल्प बचेगा। यह कदम लंबे समय में वायु गुणवत्ता सुधार की दिशा में कारगर साबित हो सकता है।

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