Noida news:नोएडा में साइबर ठगों ने एक बेहद शातिराना और चौंकाने वाली ठगी को अंजाम देते हुए भारतीय वायुसेना के रिटायर्ड अधिकारी मिश्री लाल से 1 करोड़ 2 लाख रुपये ऐंठ लिए। इस पूरे मामले में ठगों ने “डिजिटल अरेस्ट” जैसी नई साइबर रणनीति अपनाई, जिससे पीड़ित को 27 दिनों तक मानसिक रूप से बंदी बनाकर रखा गया।
घटना की शुरुआत 20 मई 2025 को हुई, जब मिश्री लाल को एक अज्ञात फोन कॉल आया। कॉलर ने खुद को TRAI का अधिकारी बताकर यह दावा किया कि उनके आधार कार्ड और मोबाइल नंबर का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर अपराध में हो रहा है। फिर एक वीडियो कॉल के माध्यम से खुद को मुंबई पुलिस और CBI अधिकारी बताने वाले अन्य लोगों ने मिश्री लाल को यह यकीन दिलाया कि वे कानूनी पचड़े में फंस चुके हैं।
ठगों ने पीड़ित को कहा कि वे एक गुप्त जांच के तहत नजरबंद हैं और उन्हें घर से बाहर निकलने या किसी से बात करने की अनुमति नहीं है। मिश्री लाल को डराने के लिए फर्जी दस्तावेज और सरकारी पहचान पत्र भी दिखाए गए। इसके बाद उन्हें वीडियो कॉल के जरिए निरंतर संपर्क में रखा गया और मानसिक दबाव में लाकर विभिन्न बैंक खातों में कई बार रकम ट्रांसफर करवाई गई। कुल मिलाकर, उन्होंने 1 करोड़ 2 लाख रुपये अलग-अलग खातों में भेज दिए।
यह मानसिक प्रताड़ना 27 दिनों तक चली। लेकिन 13 जून को जब ठगों ने और अधिक धनराशि की मांग की, तो मिश्री लाल को शक हुआ। उन्होंने अपने परिवार से बात की और फिर नोएडा पुलिस की साइबर क्राइम शाखा से संपर्क किया।
Noida पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज की और डीसीपी प्रीति यादव के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाकर जांच शुरू कर दी। पुलिस ने कई बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है और संदेहास्पद कॉल डिटेल्स की जांच चल रही है। प्राथमिक जांच में यह सामने आया है कि यह ठग एक बड़े संगठित गिरोह का हिस्सा हैं जो पूरे देश में ऐसे ही मामलों को अंजाम दे रहे हैं।
इस मामले ने एक बार फिर साबित किया है कि साइबर अपराधी अब बेहद उन्नत और खतरनाक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि “डिजिटल अरेस्ट” जैसी रणनीति विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और रिटायर्ड कर्मियों को निशाना बना रही है। इस कारण आम लोगों को भी अब अधिक सतर्क और जागरूक रहने की जरूरत है।