UP Crime: उत्तर प्रदेश के दो अलग-अलग शहरों में पांच साल की मासूम बच्चियों के साथ हुए जघन्य अपराधों ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। आगरा और लखनऊ में घटी ये घटनाएं न सिर्फ हमारी सामाजिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता भी बढ़ाती हैं।
आगरा के जगदीशपुरा इलाके में 18 मई को एक पांच वर्षीय बच्ची के साथ पड़ोसी ने अमानवीय जुल्म ढाया। आरोपी पवित्र उर्फ पम्मी ने बच्ची को धर्मस्थल में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। जब बच्ची ने दर्द से चीखना शुरू किया तो उसने उसका मुंह दबा दिया। हालांकि, बच्ची की दादी वहां पहुंच गईं, लेकिन आरोपी ने उन्हें धक्का देकर भागने की कोशिश की। स्थानीय लोगों ने उसे पकड़कर पुलिस को सौंपा, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि UP पुलिस ने उसे ‘मानसिक रूप से विक्षिप्त’ बताकर छोड़ दिया। बाद में कोर्ट में बच्ची का बयान दर्ज होने के बाद ही आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
इसी बीच, लखनऊ में भी एक ऐसी ही दर्दनाक घटना सामने आई। यहां कमल किशोर उर्फ भद्दर नामक आरोपी ने पांच साल की एक बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए तड़के एक एनकाउंटर किया, जिसमें आरोपी के पैर में गोली लगी और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसके पास से एक तमंचा और कारतूस भी बरामद हुए।
ये दोनों घटनाएं कई सवाल खड़े करती हैं। पहला सवाल तो यह कि क्या हमारी कानून व्यवस्था बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकाम हो रही है? आगरा मामले में पुलिस की लापरवाही और आरोपी को बिना सख्त कार्रवाई के छोड़ देने का फैसला हैरान करता है। दूसरा सवाल यह कि क्या समाज में बच्चों के प्रति संवेदनशीलता की कमी हो रही है? क्या हम अपने आस-पास हो रहे ऐसे अपराधों को रोकने में असमर्थ होते जा रहे हैं?
इन घटनाओं ने एक बार फिर साबित किया है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए सिर्फ कानून ही काफी नहीं है। जरूरत है कि समाज भी जागरूक हो और ऐसे अपराधियों के खिलाफ आवाज उठाए। साथ ही, UP पुलिस और UP प्रशासन को भी ऐसे मामलों में संवेदनशीलता दिखानी चाहिए ताकि न्याय मिल सके। अगर हम अब भी नहीं चेते, तो आने वाले समय में ऐसी घटनाएं और बढ़ सकती हैं।