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ब्राह्मणों की सुरक्षा को लेकर बिफरे पूर्व सांसद, मंत्री Pratibha Shukla का धरना, डिप्टी सीएम से फोन पर तीखी बातचीत

Pratibha Shukla

Pratibha Shukla Dharna: बदलापुर (उत्तर प्रदेश) में सड़क निर्माण को लेकर हुए विवाद ने सियासी तूल पकड़ लिया है। महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री Pratibha Shukla ने भाजपा कार्यकर्ता पर फर्जी मुकदमा दर्ज होने के विरोध में अकबरपुर कोतवाली में धरना दे दिया। उनके साथ बड़ी संख्या में समर्थक भी मौजूद रहे। करीब छह घंटे तक चले इस धरने में मंत्री अपने रुख पर अड़ी रहीं और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करती रहीं। इस बीच उनके पति और पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को फोन कर आत्महत्या की धमकी दे डाली।

अनिल शुक्ल ने ब्रजेश पाठक से बातचीत के दौरान नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर ब्राह्मणों की रक्षा नहीं हो सकती तो उन्हें डिप्टी सीएम पद पर क्यों बैठाया गया है? उन्होंने भावुक लहजे में कहा— “राजनीति छोड़ दूं या फांसी पर लटक जाऊं? अगर ब्राह्मणों के खिलाफ फर्जी मुकदमे ही दर्ज होते रहेंगे, तो हम किस लिए आपका समर्थन करें?” उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं को झूठे केस में फंसाया जा रहा है और उन्हें अपमानित किया जा रहा है।

विवाद की जड़ में बदलापुर क्षेत्र में विधायक निधि से हो रहा सड़क निर्माण कार्य है। स्थानीय सभासद शमशाद ने निर्माण स्थल को गलत बताते हुए काम रुकवा दिया था। सूचना मिलते ही राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला मौके पर पहुंचीं और काम शुरू कराया। इसके बाद ठेकेदार जहूर ने सभासद के खिलाफ रंगदारी मांगने और काम में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया। हालात फिर बिगड़े जब नगर पंचायत चेयरमैन और ईओ ने निर्माण कार्य रुकवा दिया।

विवाद और बढ़ गया जब गुरुवार को बाबूराम नामक व्यक्ति की तहरीर पर भाजपा मंडल उपाध्यक्ष शिवा पांडेय समेत कई लोगों पर केस दर्ज कर लिया गया। इस पर मंत्री प्रतिभा शुक्ला दोपहर में अकबरपुर कोतवाली पहुंच गईं और धरने पर बैठ गईं। उन्होंने इंस्पेक्टर सतीश सिंह और लालपुर चौकी इंचार्ज को हटाने की मांग की।

शाम को पुलिस कप्तान खुद मौके पर पहुंचे और चौकी प्रभारी को लाइनहाजिर करने व इंस्पेक्टर के खिलाफ एएसपी से जांच कराने का भरोसा दिया। इसके बाद मंत्री Pratibha Shukla ने धरना समाप्त किया। इस पूरी घटना ने न केवल भाजपा में जातीय समीकरणों की बहस छेड़ दी है, बल्कि सरकार के आंतरिक संवाद पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

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