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Thursday, October 16, 2025
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    रोगों पर ग्रहों का प्रभाव: शनि, राहु और केतु ग्रहों के प्रभाव और स्वास्थ्य के लिए ज्योतिषीय उपाय

    एस्ट्रो सुमित विजयवर्गीय

    आप स्वस्थ भी रह सकते है

    जन्मजन्मांतर कृतं पापं व्याधि रूपेण बाधते।
    तच्छान्तिरौषधैनिर्जपहोम सुरार्चने:।

    अर्थात :-पूर्व जन्म का पाप व्यक्ति को रोग का रूप धारण कर पीड़ित करता है जिसकी शांति, औषधि, दान, जप होम और ईश्वर की आराधना से होती है। यह हम ग्रहो और नक्षत्रो के माध्यम से समझ सकते है कि हमारे रोग का कारण क्या है। दवाई तो अपना असर करती ही है लेकिन ग्रहो से यह जानकारी मिलती है कि रोग कहो हुआ और कब तक है तब उस ग्रह से सम्बंधित उपाय आदि करके हम लाभ प्राप्त कर सकते है।

    ग्रह हमारे शरीर मे उत्पन्न होने वाले किन रोगों का कारण बनते है यह हमारे ऋषि मुनियो नें इस प्रकार बताया है।

    शनि:– कमज़ोरी, पेट मे दर्द, पैर मे कमी, लंगड़ापन, पोलियो, दाँत के रोग, चर्म रोग, अस्थिभंग, हड्डी के सभी रोग, arthritis, osteoporosis, osteoarthritis, rheumatic pain, जोड़ो मे सूजन, उठने बैठने, चलने फिरने मे विशेष दिक्क़त, अंधापन, चिंता, घाव, बुरे बाल, व गंजापन, मासपेशीयो के दर्द, paralysis(लकवा), बाहरपन, hysteria.

    राहु:– lungs trouble, पैरो के तलवे के रोग, चलने फिरने मे होने वाला दर्द,leprosy, श्वासलेने मे होने वाली दिक्क़ते, problems in respiratory system, बार बार रोगों का बदल जाना, रोग का पकड़ मे न आना, multiple organ failures.

    केतु:-फेफड़ों के रोग, ज्वर, आँखों मे जलन, दर्द, पेट दर्द, फोड़े, पूरे शरीर मे दर्द, अकारण होने वाले रोग।
    शनि, मंगल एवं राहु की यह विशेष बात है कि यह रोग स्वतः ही अकारण उत्पन्न कर सकते है और बहुत लंबे चलने वाले रोगों को भी उत्पन्न करते है।

    ये भी पढ़े: कहीं आपकी बीमारी का कारण पूर्व जन्म के कर्म तो नहीं ?

    इन ग्रहो से पीड़ा होने पर इनसे सम्बंधित जप दान अवश्य करते रहन चाहिए

    शनि:-1-ॐ काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मन्दः प्रचोदयात
    2-ॐ शं शनैश्चराय नम:

    राहु:- 1-ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात्॥
    2-ॐ रां राहवे नमः

    केतु:-1-ॐ चित्रवर्णय विद्माहे, सरपरूपाय धिमहि, तन्नो केतु प्रचोदयात॥
    2-ॐ कें केतवे नमः

    इसके साथ साथ :-महा मृतुन्जय मन्त्र
    ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ

    या अच्युत मन्त्र:- अच्युतानंद गोविंदा नामोच्चारण भेषजात् | नश्यन्ति सकलं रोगाः सत्यं सत्यं वदाम्यहम।।
    का जप विशेष लाभकारी रहता है। क्रम जारी है….

    Astro sumit vijayvergiy
    Mob. 9910610461,7088840810

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