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Friday, October 24, 2025
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    पितृपक्ष में पितरों की कृपा पाने के खास नियम, जानें श्राद्ध और तर्पण का महत्व

    Pitru Paksha 2025: सनातन परंपरा में माता-पिता के प्रति न केवल उनके जीवनकाल में, बल्कि उनकी मृत्यु के बाद भी आदर और सम्मान प्रकट किया जाता है। पितृ पक्ष, पूर्वजों के रूप में अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है। हिंदू धर्म में, पितरों की मुक्ति के लिए, भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन मास की सर्वपितृ अमावस्या तक पुत्र द्वारा श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस अवधि में पितरों को विधि-विधान से किया गया श्राद्ध, तर्पण और हव्य-कव्य प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष में पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध के दौरान हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।

    1. पितृ पक्ष न केवल पितरों के प्रति कृतज्ञता का एक पावन पर्व है, बल्कि इस दौरान पितरों के प्रति जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए पश्चाताप भी किया जाता है। यदि आपसे पूर्व में अपने पितरों के संबंध में कोई भूल हुई हो, तो उनकी पावन तिथि पर तर्पण और श्राद्ध आदि करते हुए क्षमा याचना करें और अपने कल्याण की प्रार्थना करें।
    2. हिंदू मान्यता के अनुसार, पितरों को समर्पित पितृ पक्ष के दौरान व्यक्ति को सात्विक भोजन ग्रहण करके ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान व्यक्ति को ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए जिससे पितरों की भावनाओं को ठेस पहुँचे।
    3. पितृ पक्ष के दौरान व्यक्ति को अपने पितरों के तर्पण के दिन अपनी क्षमतानुसार दान करना चाहिए। किसी ज़रूरतमंद या ब्राह्मण को दान देते समय भूलकर भी अपने मन में अहंकार न लाएँ और किए जा रहे दान की महिमा का बखान न करें, अन्यथा वह दान फलदायी नहीं होगा।
    4. अपनी इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार पितरों के लिए भोजन, फल, वस्त्र, धन आदि दान करें। किसी भी प्रकार की मजबूरी या क्रोध में आकर दान न करें। यदि संभव हो तो किसी मंदिर के पुजारी या किसी योग्य ब्राह्मण से संकल्प लेकर दान दें।
    5. हिंदू मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। ऐसे में सगाई, विवाह, गृह प्रवेश, जन्मदिन आदि जैसे कार्य पितृ पक्ष के दौरान नहीं करने चाहिए। ये कार्य पितृ पक्ष के बजाय नवरात्रि के दौरान करने चाहिए।
    6. हिंदू मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष में तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार, श्राद्ध के इस पावन पर्व में लहसुन, प्याज, बैंगन, मूली, करेला, गाजर, खीरा, अरवी आदि सब्जियां और उड़द, मसूर, चने की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए। हिंदू मान्यता के अनुसार, इन चीजों के सेवन से पितृ दोष लगने की संभावना रहती है।
    7. हिंदू मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए प्रतिदिन उनकी मूर्ति या चित्र पर माला-फूल चढ़ाने चाहिए और शाम के समय दक्षिण दिशा में उनके लिए तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
    8. पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, पीपल का संबंध हमारे पूर्वजों से है। ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान प्रतिदिन पीपल के पेड़ को जल दें और शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाएं। माना जाता है कि दीये के इस उपाय को करने से पितृ दोष दूर होता है।
    9. पितृ पक्ष के दौरान यदि श्रद्धापूर्वक श्राद्ध और तर्पण न किया जाए तो पितर नाराज हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को पितरों का श्राप मिलता है, जिसके कारण श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन से जुड़े सभी दोष दूर हो जाते हैं।
    10. व्यक्ति के कुल, धन, संपत्ति और यश में वृद्धि होती है। पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।उसे जीवन में तमाम तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान श्रद्धापूर्वक

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