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Monday, October 13, 2025
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    राजयोग और राजनीति: 32 प्रकार के राजयोग पर एक ज्योतिषीय दृष्टिकोण

    एस्ट्रो सुमित विजयवर्गीय

    राजयोग और राजनीति कहा तक……
    जब हम किसी ज्योतिषी के पास जाते है तों वह कहा देता है कि आपकी कुंडली मे तों राज योग है और हम प्रसन्न हो जाते है और हमसे से अधिक का समय उसी राजयोग की प्रतीक्षा करते हुए मेहनत करते हुए गुजर जाता है। विचारणीय बात है कि राजयोग होते हुए भी हम राजा क्यों नहीं बन पाते। सभी धनी, अच्छी नौकरी वाले, ऐश्वर्य युक्त व्यक्ति राजयोग ही भोगते है जोकि बलाबल व प्रकार मे भिन्न भिन्न होते है। राजयोग भंग भी होते है जोकि दो तरीके से फलित होते है एक -कुंडली मे होते हुए भी नहीं मिल पाता दूसरा -चल रहा होता है वो भंग हो जाता है। राजयोग होना और राजनीति मे होना दोनों मे आवश्यक परंतु अलग अलग बाते है।

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    लेकिन यें योग दृष्टि -युति, तथा अन्य सम्बन्धो से एक बड़ा परिवर्तन उत्पन्न कर देते है जोकि ज्योतिषीयो के समझ मे न आ सकने के कारण फलादेश कुछ का कुछ हो जाता है और उपहास का पात्र बनता है। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि दरिद्र, प्रवज्या, राजयोग आदि पर ध्यान दिया जा सके। उदाहरण के तौर पर सोनिया गाँधी upa सरकार मे सबसे अधिक प्रभावशाली होते हुए भी देश की प्रधानमंत्री न बन सकी। और कई प्रधानमंत्री साधारण परिवार से सम्बन्ध रखने वाले हुए। ज्योतिष ग्रंथो मे 32प्रकार के राज्योंगो का वर्णन है। जिस मनुष्य के जन्मपत्र मे यह 32प्रकार के राज योग विधमान हो वो चक्रवती सम्राट होता है। जिसमे नीच भंग राजयोग भी अपना विशेष स्थान रखते है।

    जिसके जन्म के समय मे जो भी ग्रह अपनी नीच संज्ञा वाली राशि मे स्थित हो या बैठा हो, यदि उस राशि का स्वामी और उसकी उच्च संज्ञा राशि का स्वामी केंद्र या त्रिकोण मे बैठा हो तों वह मनुष्य राजा या चारो दिशाओ मे भ्रमण करने वाला यशस्वी, धार्मिक होता है। यदि नीच भंग यदि तीन चार ग्रह के एक ही जन्मत्र मे पड जाए तों अवश्य ही उपर्युक्त फल के धोतक होते है। ऐसा व्यक्ति राजा के सामान ऐश्वर्य वाला, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री,किसी मठ अखाड़े क स्वामी, की तरह होता है।जिस मनुष्य का पूर्ण बली चंद्र लग्न को छोड़कर केंद्र या त्रिकोण मे हो और गुरु या शुक्र से दृष्ट हो तों वह मनुष्य राजा के समान भाग्यवान होता है और सुख से ऐश्वर्य मय जीवन व्यतीत करने वाला होता है।जिस मनुष्य के नींचस्थ ग्रह राशिपति यदि उच्च का होकर केंद्र मे बैठा हो तों वह मनुष्य राजा के समान ऐश्वर्यशाली होता है। जन्मपत्र मे जो ग्रह नीच के बैठे हो, यदि नवमांश मे उच्च के हो जाए तों ऐसे योग वाले मनुष्य राजाओं के सामान भाग्यशाली होते है। इसके प्रतिकूल होने पर मनुष्य भाग्यहीन हो जाता है।

    जन्मपत्र का विश्लेषण करते समय यह अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए कि हमे किस श्रेणी और किस रूप मे मिलेगा यह प्रमुख व्यापारी, अभिनेता, धर्मगुरु आदि के रूप मे प्राप्त होगा। लेकिन सर्वदा ध्यान रखने योग्य है।राजयोग होना और राजनीति मे उच्च पद होना यह एक ही सी लगती है लेकिन भिन्न भिन्न बाते है।
    Astro sumit vijayvergiy
    07088840810,09910610461

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