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Friday, May 2, 2025
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‘मुझे उम्मीद है कि इसे तोड़-मरोड़….’, 25 हजार शिक्षकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोली CM ममता?

Bengal Teachers Dismissal: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि वह राज्य में करीब 25,000 शिक्षकों की नौकरियों को अमान्य करार देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन नहीं कर सकती हैं। एक नागरिक के तौर पर मैं कह रही हूं कि मैं इस फैसले का समर्थन नहीं कर सकती। मुझे उम्मीद है कि इसे तोड़-मरोड़ कर पेश नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि इन उम्मीदवारों की नियुक्तियां रद्द की जाती हैं। ममता बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हालांकि, जो लोग नियुक्त हैं, उनसे कोई भी भुगतान वापस करने के लिए कहने की कोई जरूरत नहीं है।”

कोर्ट ने चयन प्रक्रिया को दिया भ्रष्ट करार

बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) द्वारा जॉब्स फॉर कैश स्कैम घोटाले के सिलसिले में 25,000 से अधिक शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को समाप्त करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा था। कोर्ट ने चयन प्रक्रिया को ‘दागी और भ्रष्ट’ करार दिया था।

सीएम ममता बनर्जी ने क्या कहा?

सीएम ममता बनर्जी ने सभी उम्मीदवारों को एक साथ बर्खास्त करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि सभी नियुक्तियां गलत कामों की दोषी नहीं थीं। उन्होंने कहा, “जिन लोगों को आप दागी कहते हैं, उनके खिलाफ हमारे पास कोई सबूत नहीं है। क्या भाजपा सरकार बंगाल की शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करना चाहती है? व्यापम में क्या हुआ? 50 से अधिक लोग मारे गए,” उन्होंने मध्य प्रदेश में भर्ती घोटाले की तुलना की।

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‘तीन महीने में प्रक्रिया पूरी करेंगे’

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए बनर्जी ने कहा कि दागी नहीं होने वाले अभ्यर्थी नए सिरे से आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “आदेश में कहा गया है कि दागी नहीं होने वाले अभ्यर्थी नए सिरे से चयन प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं। हम निर्णय को स्वीकार करेंगे और तीन महीने में प्रक्रिया पूरी करेंगे। एसएससी एक स्वायत्त निकाय है, लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यह शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी करे।”

भाजपा और माकपा पर क्या बोली सीएम ममता?

उन्होंने भाजपा और माकपा की भूमिका की भी आलोचना की और आरोप लगाया कि इस आदेश के पीछे राजनीतिक मकसद है। उन्होंने आगे कहा कि, ‘कलकत्ता उच्च न्यायालय में पहला आदेश देने वाले न्यायाधीश अब भाजपा के सांसद हैं। मुझे पता है कि यह भाजपा और माकपा ने किया है। उन्हें जल्द ही जवाब मिल जाएगा।’

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