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Tuesday, September 2, 2025
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IVF Treatment: अगर आप आईवीएफ ट्रीटमेंट से मां बनना चाहते हैं तो इन बातों का ध्यान रखें

IVF Treatment: निःसंतान दंपतियों के लिए आईवीएफ उपचार काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। भारत में भी पिछले 10 सालों में आईवीएफ कराने वालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि देश में इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है। खराब खान-पान, खराब जीवनशैली और देरी से शादी इसके प्रमुख कारण हैं, हालांकि आईवीएफ निःसंतान दंपति को संतान सुख दे रहा है। लेकिन इस तकनीक से माता-पिता बनने से पहले कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है। तभी यह प्रक्रिया सफल होती है।

डॉक्टरों का कहना है कि आईवीएफ एक लंबी प्रक्रिया है। इसमें शुरुआती 15 दिनों में दवाएं लेनी होती हैं। इसके जरिए ओवरी अंडे बनाना शुरू कर देती है। इस प्रक्रिया के बाद लैब में महिला के अंडों को पुरुषों के स्पर्म से इंफ्यूज किया जा सकता है। इसके बाद 6 से 7 दिन का समय लगता है फिर भ्रूण को महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है। इस दौरान आपको शराब के सेवन से बचना चाहिए और जंक फूड से भी दूरी बनानी चाहिए। ऐसा करने से शरीर को नुकसान हो सकता है।

जागरूकता अभियान चल रहा है

आईवीएफ विशेषज्ञ और सीड्स ऑफ इनोसेंस की संस्थापक और निदेशक डॉ. गौरी अग्रवाल एम्स के मुताबिक, देश भर में लोग नहीं जानते कि उनका बार-बार गर्भपात क्यों होता है और उनका आईवीएफ चक्र विफल क्यों होता है। इस बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए उन्होंने ‘बिग आईवीएफ- बीज सही तो जन्म दोष नहीं’ कार्यक्रम शुरू किया है।

यह प्रजनन आनुवंशिकी से संबंधित सभी पहलुओं पर जागरूकता फैलाएगा। इसके अलावा यह आईवीएफ उपचार में क्रांतिकारी बदलाव साबित होगा। नए लॉन्च किए गए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रिप्रोडक्टिव जेनेटिक्स से विभिन्न वर्गों को लाभ होगा। इससे जो महिलाएं बांझपन से पीडि़त हैं, जिन्हें अनुवांशिक रोग हैं और जिन महिलाओं की आयु अधिक हो चुकी है, उन्हें संतान सुख प्राप्त होने के योग बनेंगे। यह अभियान देश के कई राज्यों में चलाया जाएगा।

डॉ. गौरी के मुताबिक आईवीएफ की मदद से निःसंतान दंपति के जीवन में खुशियां आ रही हैं और यह तकनीक काफी फायदेमंद साबित हो रही है। आईवीएफ से पहले सभी जरूरी जांच करा लेनी चाहिए।

आईवीएफ कवरेज सालाना 20 प्रतिशत की तीव्र दर से बढ़ रहा है

भारत में आईवीएफ का दायरा सालाना 20 फीसदी तेजी से बढ़ रहा है। ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी इलाकों में आईवीएफ कराने वालों की संख्या काफी ज्यादा है।

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