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Saturday, September 13, 2025
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Mughal History: क्या बाबर का मेवाड़ के महाराणा सांगा ने भारत बुलाया था या इसके पीछे कोई और कहानी है?

Mughal History: 1526 ई. में पानीपत के मैदान में मुगल आक्रमणकारी बाबर और दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच भीषण युद्ध हुआ, जिसमें इब्राहिम लोदी की बुरी तरह हार हुई। बाद में इस युद्ध की जीत का भारत के इतिहास पर बड़ा प्रभाव पड़ा।

युद्ध में जीत के बाद बाबर ने कई राजाओं को अपनी अधीनता स्वीकार करने का संदेश भेजा, जिनमें से कुछ ने संदेश स्वीकार कर लिया जबकि कुछ ने बाबर की अधीनता स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

बाबर ने इब्राहिम को कैसे हराया?

मेवाड़ नरेश महाराणा सांगा ने भी बाबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। इतिहासकारों के अनुसार महाराणा सांगा की सेना ने अपने पराक्रम से बाबर की सेना को परास्त किया था।

वैसे महाराणा सांगा और बाबर की कहानी इतनी आसान नहीं है। कई इतिहासकारों ने दोनों के युद्ध की कहानी को और भी कई तरह से वर्णित किया है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि बाबर ने महाराणा सांगा को आमंत्रित किया था। इतिहासकार के अनुसार बाबर इब्राहिम लोदी और महाराणा सांगा के बीच की शत्रुता को जानता था और इसीलिए बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा को मित्रता का संदेश भेजा।

क्या सांगा ने बाबर को आमंत्रित किया था?

मेवाड़ का इन्फ्लुएंस इन नेशनल पॉलिटिक्स नामक पुस्तक के लेखक डॉ. मोहनलाल गुप्ता लिखते हैं कि दूत ने महाराजा से निवेदन किया कि बादशाह बाबर इब्राहिम लोदी से युद्ध करना चाहता है, इसलिए उसने आपको यह सन्धि पत्र भेजा है। आगे वह अपनी पुस्तक में लिखता है कि बाबर ने आगे लिखा है कि मैं आज यहां से दिल्ली पर आक्रमण करूंगा और आज उघर से आगरा पर आक्रमण करूंगा- इस प्रकार लोदी हमारी अधीनता स्वीकार कर लेगा।

कुछ इतिहासकारों का मत है कि महाराणा सांगा ने तब बाबर को उस संदेश पर अपनी स्वीकृति प्रदान की थी। कहा जाता है कि महाराणा सांगा ने यह स्वीकृति इसलिए दी क्योंकि वे विदेशी सत्ता से विदेशी शासक का अंत चाहते थे।

बाबर को करारी हार मिली

हालांकि कई इतिहासकार कुछ और ही मानते हैं। इतिहासकारों ने यह प्रश्न उठाया है कि यदि महाराणा सांगा ने बाबर को आमंत्रित किया था तो दोनों के बीच भीषण युद्ध क्यों हुआ? बाबर की सेना, जिसकी सेना ने लोदी की सेना के विरुद्ध युद्ध जीत लिया था, को बयाना में राजपूतों की सेना से करारी हार का सामना करना पड़ा।

बाबर पहले भी कई हमले कर चुका था

जीएन शर्मा और गौरीशंकर हीराचंद ओझा जैसे कई इतिहासकारों का दावा है कि बाबर ने भारत पर हमला करने का मन पहले ही बना लिया था। ऐसा उन्होंने पहले भी कई बार आजमाया था।

बाबर ने सबसे पहले 1519 में पंजाब पर आक्रमण किया। इतना ही नहीं 1526 में पानीपत से पहले बाबर ने चार बार आक्रमण करने का प्रयास किया। उन्हें पांचवीं बार में सफलता मिली है। बाबर के सामने एक और मजबूरी थी। 1511-12 में उसे समरकंद छोड़ने के लिए विवश किया गया। उसके पास भारत भागने के अलावा और कोई चारा नहीं था।

बाबर-सांगा में महायुद्ध

जब बाबर की सेना ने दिल्ली पर आक्रमण किया तो कहा जाता है कि उस समय लोदी सेना कमजोर हो गई थी। लोदी की कमजोर सेना को भी बाबर की सफलता का कारण माना जाता है। लेकिन जब बाबर ने आधिपत्य का विस्तार करना शुरू किया, तब महाराणा सांगा की सेना ने बाबर की सेना के खिलाफ चौतरफा युद्ध शुरू कर दिया। युद्ध में दोनों पक्षों की भारी हानि हुई।

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