Maharajganj school merger fake video: उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक महिला प्रिंसिपल ने स्कूल मर्जर के विरोध में बच्चों से जबरन रोने का नाटक करवाकर उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। यह वीडियो भावनात्मक था, जिसमें बच्चे स्कूल गेट के बाहर रोते हुए दिख रहे थे और प्रिंसिपल से स्कूल न बंद करने की गुहार लगा रहे थे। लेकिन जब प्रशासन ने इसकी तह तक जाकर जांच करवाई, तो सच्चाई सामने आई—यह पूरा घटनाक्रम प्रायोजित था।
प्राथमिक विद्यालय भलुई क्षेत्र परतावल,महाराजगंज के बच्चे मर्जर के बाद नए विद्यालय जाने की बात पर फूट फूट कर रो रहे ।@myogiadityanath @DrDCSHARMAUPPSS pic.twitter.com/nVcfbN7d9N
— Akhilesh Pathak (UPPSS )Maharajganj (@Akhilesh2010_) July 21, 2025
घटना परतावल विकासखंड के रुद्रपुर भलुही प्राथमिक विद्यालय की है। बीते सोमवार को वायरल हुए वीडियो में मासूम बच्चे बार-बार कहते नजर आ रहे थे—”मैम, गेट खोल दीजिए, हमें यहीं पढ़ना है।” यह दृश्य लोगों को भावुक कर गया और कई ने इसे स्कूल के मर्जर का विरोध मान लिया। लेकिन जिलाधिकारी संतोष शर्मा ने वीडियो की गंभीरता को देखते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) रिद्धि पांडेय से तत्काल जांच रिपोर्ट मांगी।
जांच के दौरान सामने आया कि स्कूल की प्रभारी प्रिंसिपल कुसुमलता पांडेय ने ही बच्चों को उकसाकर रोने वाला वीडियो बनवाया था। इसकी मंशा यही थी कि वीडियो वायरल हो और प्रशासन पर दबाव बने जिससे स्कूल का प्रस्तावित मर्जर रुक सके। जांच में यह भी पता चला कि वीडियो वाले दिन स्कूल समय से खोला ही नहीं गया था।
जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि विद्यालय में छात्र नामांकन की संख्या सिर्फ 32 थी और स्कूल को दिए गए सरकारी संसाधनों की स्थिति भी खराब थी। गांव के प्रधान और अन्य ग्रामीणों ने भी प्रिंसिपल की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं और उनके खिलाफ कई शिकायतें दी हैं।
Maharajganj प्रकरण की पुष्टि होने पर प्रिंसिपल कुसुमलता पांडेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। वहीं, खंड शिक्षा अधिकारी मुसाफिर सिंह पटेल को मॉनिटरिंग में लापरवाही बरतने के आरोप में प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है। हालांकि, इस कार्रवाई के बाद भी विवाद थमा नहीं है, क्योंकि मर्जर से संबंधित पुराने आदेशों की प्रतियों के सामने आने के बाद लोगों का सवाल है—यदि मर्जर का आदेश ही नहीं था, तो उसे निरस्त करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
इस पूरे घटनाक्रम ने Maharajganj शिक्षा विभाग और Maharajganj प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।