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Monday, October 13, 2025
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    AI and women empowerment: डिजिटल युग में महिलाओं की नई उड़ान!

    AI and women empowerment: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) महिलाओं के सशक्तिकरण में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। यह तकनीक न केवल शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और रोजगार के नए अवसर प्रदान कर रही है, बल्कि महिलाओं को निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में भी समान भागीदार बना रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G20 समिट और वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम जैसे मंचों पर ‘वूमेन-लेड डेवलपमेंट’ को बढ़ावा देने की बात कही है, जिसमें महिलाओं को केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि नेतृत्वकर्ता मानने का दृष्टिकोण शामिल है।

    AI रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। खासकर, AI आधारित चैटबॉट्स और डेटा एनालिटिक्स सिस्टम महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा में सहायक हो सकते हैं। ये तकनीक घरेलू हिंसा और उत्पीड़न की निगरानी में मदद करती है और आवश्यक कानूनी व सुरक्षा संबंधी सहायता भी प्रदान करती है।

    भारत सरकार ने 2018 में ‘नेशनल स्ट्रैटेजी फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य एआई विकास को बढ़ावा देना था। इसके बाद 2021 में ‘रिस्पॉन्सिबल एआई’ पर एक ड्राफ्ट पेश किया गया, जिसमें नैतिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही को प्राथमिकता दी गई। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में ‘मेकिंग एआई इन इंडिया’ और ‘मेकिंग एआई वर्क इन इंडिया’ के तहत 10,371.92 करोड़ रुपये के बजट के साथ इंडिया एआई मिशन को मंजूरी दी गई।

    हाल ही में पेरिस एआई शिखर सम्मेलन 2025 में प्रधानमंत्री मोदी ने एआई को समावेशी और प्रभावी बनाने पर जोर दिया। उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा और लैंगिक हिंसा की रोकथाम में एआई की भूमिका पर भी बात की। एआई-आधारित निगरानी प्रणाली और आपातकालीन अलर्ट सिस्टम महिलाओं की सुरक्षा को और मजबूत कर सकते हैं।

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    स्वास्थ्य सेवाओं में AI का उपयोग भी महिलाओं के लिए वरदान साबित हो सकता है। स्वीडन में हुई एक क्लीनिकल स्टडी में पाया गया कि एआई आधारित मैमोग्राफी सिस्टम स्तन कैंसर की पहचान में 29% अधिक सक्षम है। इसी तरह, हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी और अन्य बीमारियों की पहचान में भी यह तकनीक सहायक हो सकती है।

    भारत के ‘विकसित भारत 2047’ विजन के तहत, एआई महिलाओं को समाज में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए सक्षम बना सकता है। यह तकनीक केवल आर्थिक उन्नति तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने में भी सहायक बननी चाहिए।

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