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Monday, December 15, 2025
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एनकाउंटर का डर: ‘फांसीघर’ में कैद सपा नेता का छलका दर्द, सिब्बल के सामने खोली पोल!

Azam Khan ear of encounter: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने हाल ही में राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के साथ एक विस्तृत बातचीत में अपनी जेल यात्रा और राजनीतिक जीवन के कष्टों को साझा किया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में, खान ने विशेष रूप से उस भयावह अनुभव को याद किया जब उन्हें रामपुर जेल से सीतापुर जेल स्थानांतरित किया जा रहा था।

जेल स्थानांतरण के दौरान एनकाउंटर की आशंका

Azam Khan ने बताया कि जेल बदले जाने के दौरान उन्हें एनकाउंटर का डर था। उन्होंने कहा कि उन्हें एक अलग गाड़ी में और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को दूसरी गाड़ी में बिठाया गया, जिससे उनकी चिंता और बढ़ गई। जेल में उन्होंने सुन रखा था कि एनकाउंटर हो रहे हैं। इस पीड़ा को साझा करते हुए, उन्होंने भावुक होकर कहा, “जो पिता होगा वह अपनी औलाद को लेकर पीड़ा समझ जाएगा।”

उन्होंने उस विदाई के क्षण को याद किया, जब वे और उनके बेटे गले लगकर जुदा हुए थे। उन्होंने बेटे से कहा था, “जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे, नहीं तो ऊपर मिलेंगे।” खान को उस वक्त यकीन नहीं था कि वे फिर मिल पाएंगे। उन्हें तब जाकर राहत मिली जब वे और अब्दुल्ला दूसरी जेल में सकुशल शिफ्ट हो गए।

छात्र राजनीति से लेकर वर्तमान मुकदमों तक

Azam Khan ने बातचीत में छात्र जीवन की राजनीति से लेकर वर्तमान राजनीतिक स्थिति तक हर पहलू पर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ते समय इमरजेंसी के दौरान उन्हें देशद्रोह के आरोप में जेल भेजा गया था। उन्हें उस अंधेरी कोठरी में रखा गया था, जहां बाद में फांसी पाने वाला डाकू सुंदर बंद था।

जमानत मिलने के बाद उन पर मीसा का मुकदमा दर्ज किया गया। जेल से लौटने के बाद, उन्होंने रामपुर में बीड़ी श्रमिकों और बुनकरों की आवाज उठाई। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जमकर तारीफ भी की।

‘बदला लेने की राजनीति’ का आरोप

कपिल सिब्बल ने खान से 2017 के बाद अचानक उन पर दर्ज हुए 94 मुकदमों के बारे में सवाल किया, जिसे खान ने पूरी तरह बेबुनियाद बताया। उन्होंने मौजूदा राजनीतिक माहौल पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले की सरकारों में सदन के अंदर आलोचना के बाद भी पक्ष-विपक्ष के नेता बाहर आत्मीयता से मिलते थे, लेकिन अब ‘बदला लेने की राजनीति’ हावी हो गई है।

दूसरी बार जेल भेजे जाने के अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि रात तीन बजे उन्हें और उनके बेटे को सोते से उठाया गया और अलग-अलग गाड़ियों में दूसरी जेल भेजा गया।

Azam Khan ने अपनी भावी राजनीतिक इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि अगली बार जब तक सरकार आए, तब तक उनके ऊपर से मुकदमों का दाग हट जाए, ताकि वह ‘मुजरिम के रूप में हाउस में न जाएं’। उन्होंने यह कहकर अपना दर्द व्यक्त किया कि “मैंने यूनिवर्सिटी बनाई यही मेरा गुनाह है। मुझे जेल में नहीं फांसीघर में रखा गया।” यह वीडियो भारतीय राजनीति में बढ़ते व्यक्तिगत प्रतिशोध और एक वरिष्ठ नेता की गहरी पीड़ा को दर्शाता है।

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