Azamgarh Home Guard Gangster: आजमगढ़ पुलिस में तैनात एक होमगार्ड की असली पहचान उजागर होने के बाद पूरे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। मुबारकपुर थाने में लंबे समय से सेवा दे रहे होमगार्ड निरंकार राम न केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने का काम कर रहे थे, बल्कि पिछले दो दशकों से गंभीर आपराधिक गतिविधियों में भी सक्रिय थे। इस खुलासे ने पुलिस की आंतरिक निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वर्ष 2001 में मुबारकपुर थाने पर होमगार्ड के पद पर नियुक्त हुए निरंकार राम के बारे में बताया जाता है कि शुरुआती समय में वह सामान्य ड्यूटी निभाते थे। लेकिन 2003 में उन्होंने अपराध की दुनिया में कदम रखा और धीरे-धीरे गांजा तस्करी, लूट, डकैती से लेकर नाबालिग से जुड़े गंभीर अपराधों में शामिल हो गए।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि उन पर पाक्सो एक्ट समेत कुल आठ आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से छह मामले उसी मुबारकपुर थाने में दर्ज हैं, जहां वह ड्यूटी कर रहे थे। इसके बावजूद थाने के प्रभारी ने उन्हें संवेदनशील जिम्मेदारी यानी मालखाने की सुरक्षा का काम सौंपे रखा। यह जिम्मेदारी आमतौर पर भरोसेमंद कर्मचारियों को दी जाती है, लेकिन इस मामले में नियमों और सतर्कता की पूरी तरह अनदेखी हुई।
सूत्रों के मुताबिक, निरंकार राम का नेटवर्क प्रदेश के टॉप 10 अपराधियों से जुड़ा हुआ है। Azamgarh पुलिस रिकॉर्ड और स्थानीय Azamgarh चर्चाओं के अनुसार, इस संबंध ने उन्हें वर्षों तक कार्रवाई से बचाए रखा। इतने गंभीर आरोपों और मामलों के बावजूद, उनके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस स्थिति ने विभागीय कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।
इस घटना ने न केवल Azamgarh बल्कि पूरे यूपी पुलिस महकमे को झकझोर कर रख दिया है। सवाल यह भी है कि आखिर 22 वर्षों तक कोई अधिकारी उनके आपराधिक रिकॉर्ड को क्यों नहीं खंगाल पाया या फिर जानबूझकर नजरअंदाज किया गया। इस चूक ने साफ कर दिया है कि आंतरिक जांच और सत्यापन की प्रक्रिया में गंभीर खामियां मौजूद हैं।
मामला सामने आने के बाद अब पुलिस विभाग ने जांच शुरू कर दी है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस जांच में न केवल निरंकार राम की आपराधिक गतिविधियों का पूरा ब्योरा सामने आएगा, बल्कि यह भी खुलासा होगा कि किन लोगों की शह पर वह इतने लंबे समय तक कानून से बचते रहे। आने वाले दिनों में इस केस से जुड़े और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं।
यह मामला स्पष्ट रूप से दिखाता है कि यदि आंतरिक निगरानी व्यवस्था ढीली हो, तो अपराधी कानून के अंदर रहते हुए भी कानून को चुनौती दे सकते हैं।