Fatehpur dispute: फतेहपुर में नवाब अब्दुल समद मकबरे को ठाकुर जी का मंदिर बताने के दावे से उपजा विवाद गंभीर सियासी और सांप्रदायिक टकराव में बदल गया है। सोमवार को बीजेपी और हिंदू संगठनों के आह्वान पर बड़ी संख्या में लोग मकबरे पर जुटे। वहां नारेबाजी, भगवा ध्वज फहराना और हनुमान चालीसा का पाठ हुआ। भीड़ ने तोड़फोड़ की कोशिश भी की, जिसके चलते क्षेत्र का माहौल तनावपूर्ण हो गया और पुलिस-पीएसी को लाठियां फटकार कर भीड़ को हटाना पड़ा। यह स्थिति करीब पांच घंटे बनी रही।

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें वे सफेद कुर्ता-पायजामा पहने फोन पर फतेहपुर के पुलिस अधीक्षक से तीखे शब्दों में बात करते दिखाई देते हैं। वह कहते हैं, “ये मुलायम सिंह यादव की सरकार नहीं है कि आप गोली चलवा दोगे। अगर हिम्मत है तो गोली चलवाकर देखिए।” वीडियो में वह यह भी कहते हैं कि उन्होंने पहले ही एसपी को कार्रवाई के लिए कहा था और शिकायत डीएम से भी कर चुके हैं।
Fatehpur पुलिस ने मकबरे विवाद में 10 नामजद और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसमें बीजेपी, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद के कई पदाधिकारियों के नाम हैं। हालांकि, मुखलाल पाल और हिंदू महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज त्रिवेदी के नाम एफआईआर में शामिल नहीं हैं, जबकि दोनों का विवादित स्थल पर मौजूद रहने का दावा किया गया है।
घटना में समाजवादी पार्टी से जुड़े नेता पप्पू सिंह चौहान का नाम भी एफआईआर में दर्ज है। पप्पू पर आरोप है कि वे भी बवाल में सक्रिय थे। इसके बाद सपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र प्रताप सिंह ने उन्हें पार्टी से निष्कासित करने का पत्र जारी कर दिया। सपा का आरोप है कि बीजेपी और हिंदू संगठनों की अगुवाई में मकबरे के मुद्दे को उभारकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है।
Fatehpur विवाद की पृष्ठभूमि में बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल और हिंदू संगठनों का दावा है कि जिस स्थान पर अब मकबरा है, वहां पहले ठाकुर जी का मंदिर था। उनका कहना है कि मंदिर को तोड़कर नवाब अब्दुल समद का मकबरा बनाया गया। इसी दावे के आधार पर रविवार को मुखलाल पाल ने ऐलान किया था कि वहां पूजा-अर्चना की जाएगी। सोमवार सुबह सैकड़ों लोग वहां पहुंचे, भगवा ध्वज लगाया और हनुमान चालीसा का पाठ किया।
Fatehpur प्रशासन का कहना है कि हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस मामले में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रही है। फिलहाल, यह विवाद कानून-व्यवस्था के साथ-साथ सियासी हलकों में भी गरम चर्चा का विषय बना हुआ है।