Azamgarh News: यूपी पुलिस में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक गैंगस्टर 35 साल से पुलिस विभाग में होमगार्ड के रूप में तैनात था। उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि के बावजूद Azamgarh पुलिस को उसकी नौकरी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। यह मामला तब उजागर हुआ जब आरोपी के भतीजे ने पुलिस में शिकायत की, जिसके बाद डीआईजी वैभव कृष्ण की जांच में यह रहस्य खुला। अब आरोपी को निलंबित कर दिया गया है और उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया है।
कैसे हुआ खुलासा?
आरोपी नकदू यादव, जिन पर हत्या, डकैती और गैंगस्टर जैसी गंभीर धाराओं के तहत मामले दर्ज थे, 1990 से लेकर 2024 तक Azamgarh के रानी की सराय और मेंहनगर थानों में होमगार्ड के रूप में तैनात रहा। उसे पुलिस महकमे में कोई संदेह नहीं था और न ही किसी ने उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि पर ध्यान दिया। मामला तब सामने आया जब आरोपी के भतीजे नंदलाल ने 3 दिसंबर को डीआईजी वैभव कृष्ण से शिकायत की। नंदलाल ने बताया कि उसका चाचा पिछले 35 साल से फर्जी तरीके से होमगार्ड की नौकरी कर रहा है। इसके बाद डीआईजी ने मामले की गहराई से जांच कराई और यह सत्य सामने आया कि आरोपी ने कक्षा 8 का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर होमगार्ड की नौकरी प्राप्त की थी।
#Azamgarh #थाना_रानी_की_सराय क्षेत्रान्तर्गत अभियुक्त नन्दलाल उर्फ नकदू द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार कर होमगार्ड की नौकरी कर रहा था, आरोपी के विरूद्ध मुकदमा दर्ज, वर्तमान में अभियुक्त उपरोक्त जेल में निरूद्ध है, के सम्बन्ध में #Spazh का आधिकारिक वक्तव्य।@uppolice @News18UP pic.twitter.com/ZCuGWORA4X
— AZAMGARH POLICE (@azamgarhpolice) January 8, 2025
फर्जी दस्तावेज़ और पहचान परिवर्तन
नकदू ने अपनी पहचान बदलने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए और 1990 के पहले तक वह नकदू यादव के नाम से जाना जाता था। इसके बाद उसने अपने नाम में बदलाव कर उसे नंदलाल यादव बना लिया। उसके द्वारा किए गए इस दस्तावेज़ी छल को पुलिस विभाग ने पूरी तरह से अनदेखा किया और उसकी नौकरी को जारी रखा। यहां तक कि 1992 में पुलिस अधिकारियों ने उसके चरित्र प्रमाण पत्र पर बिना किसी संदेह के हस्ताक्षर कर दिए।
पुलिस की प्रतिक्रिया
Azamgarh के एसपी हेमराज मीणा ने बताया कि आरोपी के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर जांच शुरू कर दी गई है। इसके अलावा विभागीय जांच भी की जा रही है कि आरोपी ने किस प्रकार से पुलिस को धोखा दिया और इतनी लंबी अवधि तक नौकरी करता रहा, जबकि उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि स्पष्ट थी। पुलिस विभाग अब इस सवाल का जवाब तलाशने में जुटा है कि आरोपी पुलिस के पकड़ से कैसे बचता रहा।