Azamgarh News: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिला कारागार में एक बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है, जिसके परिणामस्वरूप जेल अधीक्षक आदित्य कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। उन पर वित्तीय अनियमितताओं और अपने कर्तव्यों के निर्वहन में विफल रहने का आरोप है।
इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड जेल का एक पूर्व बंदी रामजीत यादव उर्फ संजय था। रामजीत ने जेल के बैंक खाते में सेंध लगाकर करीब 17 महीनों की अवधि में ₹52.85 लाख की भारी भरकम राशि अवैध रूप से निकाल ली थी। यह रकम जनवरी 2024 से लेकर अक्टूबर 2025 के बीच विभिन्न चेकों के माध्यम से निकाली गई।
कैसे दिया गया फ्रॉड को अंजाम?
दहेज हत्या के मामले में Azamgarh जेल में बंद रहा रामजीत यादव, 20 मई 2024 को जमानत पर रिहा हुआ था। जेल में रहते हुए, वह और एक अन्य बंदी शिवशंकर, लेखा कार्यालय में वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद के राइटर के रूप में काम करते थे। मुशीर अहमद और चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय की मिलीभगत से दोनों ने वरिष्ठ जेल अधीक्षक के नाम से संचालित सरकारी बैंक खाते की पासबुक और चेकबुक चुरा ली।
Azamgarh जेल से बाहर निकलने के बाद, रामजीत ने इस चोरी की गई चेकबुक पर वरिष्ठ जेल अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर किए और नकली मुहर का इस्तेमाल किया। उसने लगभग 25 बार अलग-अलग चेकों से धनराशि निकाली और इसे अपने खाते में ट्रांसफर कराता रहा। हैरान करने वाली बात यह है कि रुपए निकाले जाने के लगातार मैसेज जेल अधीक्षक के मोबाइल पर आते रहे, लेकिन उन्हें 17 महीने तक इस सेंधमारी की भनक तक नहीं लगी।
सरकारी पैसे से ऐश
इस घोटाले से प्राप्त धनराशि का उपयोग मुख्य आरोपी रामजीत यादव ने निजी खर्चों के लिए किया। उसने ₹25 लाख अपनी बहन की शादी में खर्च किए, ₹10 लाख का कर्ज चुकाया, और लगभग ₹3.75 लाख की एक बुलेट मोटरसाइकिल भी खरीदी। बाकी बची राशि अन्य सहयोगियों द्वारा बंदरबांट कर ली गई थी।
घटना का खुलासा होने के बाद, पुलिस ने मुख्य आरोपी रामजीत यादव उर्फ संजय सहित जेल के वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद और चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय को गिरफ्तार कर लिया है। कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं विभाग ने जेल अधीक्षक आदित्य कुमार को निलंबित करते हुए मुख्यालय से संबद्ध कर दिया है। यह कार्रवाई वित्तीय व्यवस्था पर ढिलाई और लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है।