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Tuesday, August 19, 2025
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Jhansi : परीक्षा के दबाव में कई समस्याओं से जूझ रहे बच्चे, शरीर में हो रहे अजीब बदलाव!

Jhansi News : परीक्षा में आपका बच्चा अच्छे अंकों से पास हो यह सभी अभिभावकों का सपना होता हैं। इसको लेकर बच्चों पर अभिभावकों का काफी दबाव भी रहता हैं। जैसे सुबह जल्दी उठकर पढ़ना, रात में देर रात तक पढ़ाई (Exam Pressure on Students) करना। ऐसे लगातार दबाव से कई बच्चों की नींद नहीं पूरी हो रही है और वह बीमार पड़ रहे हैं। इसका खुलासा डॉक्टर के पास आने वाले नियमित रूप से बीमार बच्चों से हुआ है।

बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंकों से पास होने के लिए बच्चे दिन रात पढ़ाई कर रहे हैं। कुछ बच्चों में जुनून इतना है कि वह खाना, पीना और सोना तक छोड़ चुके हैं। क्षमता से अधिक पढ़ाई का बोझ उठा रहे कई बच्चे सिर दर्द का शिकार भी हो रहे हैं।

जिला अस्पताल (Jhansi Hospital) के मनोचिकित्सा विभाग में प्रतिदिन ऐसे औससतन चार बच्चे आ रहे हैं जो तनाव और नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। इससे उनकी स्मरण शक्ति भी कम हो रही है। कुछ मामले इतने गंभीर हैं कि उन्हें दवाएं देकर इस समस्या से बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है।

बच्चों में हो रहे अजीब बदलाव

दिन रात जागकर पढ़ रहे बच्चों के शरीर और व्यवहार में अजीब बदलाव देखे जा रहे हैं। इन बच्चों में चिड़चिड़ापन, हाथ-पांव में कंपन, घबराहट और भूलने की समस्या हो रही है।

12वीं में 10वीं जैसा प्रदर्शन करने का दबाव

मनोचिकित्सक डॉ. शिकाफा जाफरीन ने बताया कि ऐसे बच्चे बहुत आ रहे हैं, जो 10वीं की परीक्षा में टॉपर रहे हैं। अब उन्हें 12वीं में वैसा ही प्रदर्शन करने की चिंता सता रही है। इसके लिए वह पूरा दिन और पूरी रात पढ़ाई कर रहे हैं। वह सिर्फ 3 घंटे ही सो रहे हैं। ऐसे में वह जो भी पढ़ रहे हैं उन्हें मुश्किल से याद रह पा रहा है। जिससे उनका आत्मविश्वास भी कम हो रहा है।

डॉक्टर्स ने माता-पिता को दी ये सलाह

मनोचिकित्सक ने बच्चों की काउंसिलिंग कर बताया कि उन पर अभिभावकों और स्कूल का दबाव होने के चलते वह सो नहीं पा रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर माता-पिता की भी काउंसिलिंग कर रहे हैं। सलाह दी है कि बच्चों को कम से कम 6 घंटे जरूर सोना चाहिए तभी वह शांत मन से पढ़ाई कर सकते हैं। उन पर अच्छे नंबर लाने का प्रेशर न बनाएं।

इंसान का दिमाग तभी सही से काम करता है जब वह 6 घंटे सोते हैं। परीक्षा के दबाव में बच्चे सो नहीं रहे हैं। इसलिए उन्हें दिक्कत हो रही है। बच्चों की याद करने की क्षमता में भी कमी देखी गई है। बच्चों पर पढ़ाई का दबाव न बनाएं, बल्कि उन्हें प्रोत्साहित करें।

डॉ. शिकाफा जाफरीन, मनोचिकित्सक, जिला अस्पताल झाँसी

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