Kanpur Police News: कानपुर में लंबे समय तक तैनात रहे और वर्तमान में मैनपुरी के भोगांव में सीओ (पुलिस उपाधीक्षक) पद पर कार्यरत ऋषिकांत शुक्ला के खिलाफ एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने यूपी पुलिस की छवि को धूमिल किया है। कानपुर पुलिस की एसआईटी (विशेष जांच दल) की रिपोर्ट के आधार पर, शुक्ला पर 100 करोड़ रुपये की अकूत और आय से अधिक बेनामी संपत्ति जमा करने का आरोप लगा है। इन गंभीर आरोपों के चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया है और शासन ने विजलेंस जांच के आदेश दिए हैं।
कानपुर के अखिलेश दुबे प्रकरण में मैनपुरी जिले के भोगांव में तैनात डीएसपी (सीओ) ऋषिकांत शुक्ला को सस्पेंड कर दिया गया है। उनके खिलाफ विजिलेंस जांच भी शुरू हो गई है। कानपुर पुलिस की एसआईटी जांच में शुक्ला के पास 100 करोड़ रुपए से अधिक की बेनामी संपत्ति होने का दावा किया गया है।… pic.twitter.com/1Ndu1N4utG
— Rajesh Sahu (@askrajeshsahu) November 4, 2025
गैंगस्टर अखिलेश दुबे से कनेक्शन
सबसे गंभीर आरोप यह है कि ऋषिकांत शुक्ला Kanpur जेल में बंद कुख्यात अधिवक्ता अखिलेश दुबे के गिरोह के सदस्य हैं। अखिलेश दुबे पर बीजेपी नेता सतीश सतीजा को रेप के झूठे मामले में फंसाने का आरोप है। इस मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने खुलासा किया था कि दुबे के गिरोह में पुलिसकर्मी, पत्रकार और वकील शामिल थे, और इसी जांच में सीओ शुक्ला का नाम सामने आया।
तीन नवंबर को शासन ने इस मामले पर संज्ञान लिया और Kanpur अपर पुलिस महानिदेशक प्रशासन की जांच आख्या के आधार पर, प्रमुख सचिव विजलेंस विभाग को पत्र लिखकर ऋषिकांत शुक्ला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच शुरू करने और कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
अस्वाभाविक संपत्ति का ब्यौरा
एसआईटी की जांच में सामने आया है कि ऋषिकांत शुक्ला ने अपने और अपने परिजनों, साथियों और साझेदारों के नाम पर यह भारी संपत्ति अर्जित की है। रिपोर्ट के अनुसार, 12 स्थानों पर उपलब्ध संपत्तियों का मौजूदा बाजार मूल्य लगभग 92 करोड़ रुपये है, जबकि कुल संपत्ति लगभग 100 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इन संपत्तियों में कानपुर के आर्यनगर में स्थित उनकी ग्यारह दुकानें भी शामिल हैं, जो कथित तौर पर उनके पड़ोसी साथी देवेंद्र दुबे के नाम पर दर्ज हैं।
ऋषिकांत शुक्ला का Kanpur में लंबा कार्यकाल रहा है। वह 1998 से 2006 तक उपनिरीक्षक (दरोगा) और फिर दिसंबर 2006 से 2009 तक निरीक्षक (इंस्पेक्टर) के रूप में लगभग 11 साल तक तैनात रहे।
दसों पुलिसकर्मी जांच के घेरे में
अखिलेश दुबे के गिरोह को मदद करने वाले केवल ऋषिकांत शुक्ला ही नहीं हैं। जांच में सामने आया है कि चर्चित अधिवक्ता ने अपने आसपास खाकी का एक बड़ा जाल बुन रखा था। फिलहाल, सीओ शुक्ला समेत दस पुलिसकर्मियों को चिह्नित किया गया है जिनके खिलाफ जांच जारी है। संभावना है कि आने वाले समय में कई और पुलिसकर्मियों के नाम सामने आ सकते हैं, जिससे इस मामले की परतें और खुलेंगी। हालांकि, निलंबित सीओ ऋषिकांत शुक्ला ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है।

