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Monday, August 18, 2025
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कानपुर में आज से दिखेगी क्राफ्टरूट्स की पांच दिवसीय हस्तशिल्प प्रदर्शनी, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया शुभारंभ

Kanpur News: अगर आपकी रूचि भी हस्तशिल्प कला में है तो यह खबर आपके लिए विषेश महत्व रखती है। हस्तशिल्पियों की कला को बचाने में जुटी क्राफ्टरूटस संस्था अब उन्हें विशेषज्ञता का शैक्षिक आधार भी देने जा रही है। अहमदाबाद में देश की पहली हस्तशिल्प यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाएगी। इसके तहत हस्तशिल्प एवं उद्यमिता का पहला पाठ्यक्रम भी शुरू कराया जा रहा है। कानपुर में आज से शुरू हो रही क्राफ्टरूटस की पांच दिवसीय हस्तशिल्प प्रदर्शनी शुरू होने से पहले संस्थापक अनार पटेल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हस्तशिल्प के पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिए देश में हस्तशिल्पियों के 55 क्लस्टर चुने गए हैं जिनके साथ व्यावहारिक शिक्षा दी जाएगी।

हस्तशिल्पियों को उनके हुनर का सही पारिश्रमिक दिलाने की शुरुआत

बता दें कि, मेला का आयोजन क्राफ्टरूटस और ग्रामश्री संस्था की ओर से किया जा रहा है। दोनों संस्थाओं की शुरुआत अनार पटेल ने की है। उन्होंने मामले को लेकर बताया कि 1995 में उन्होंने प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा से हस्तशिल्पियों के संरक्षण और उनके हुनर का सही पारिश्रमिक दिलाने के लिए इसकी शुरुआत की थी। आज 35 हजार से अधिक कारीगरों के साथ जुड़कर काम कर रहे हैं और लगभग 70 हजार महिलाओं व युवाओं को विभिन्न हस्तशिल्प का प्रशिक्षण दिलाया है।

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अहमदाबाद में खुलेगी हस्तशिल्प यूनिवर्सिटी

तीन दशक तक हस्तशिल्पियों के साथ काम करने के बाद महसूस किया कि हस्तशिल्पियों के हुनर का मूल्यांकन और प्रमाणन नहीं हो रहा है। हस्तशिल्प को निफ्ट जैसी संस्थाओं ने अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है, लेकिन इसकी कोई यूनिवर्सिटी नहीं है। अब अहमदाबाद में हस्तशिल्प विश्वविद्यालय की स्थापना करने की दिशा में काम किया जा रहा है।

गवर्नर ने किया प्रदर्शनी का शुभारंभ

कानपुर के लाजपत भवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। 12 नवंबर तक चलने वाली प्रदर्शनी में हर रोज सुबह साढ़े 10 बजे से रात नौ बजे तक हस्तशिल्पियों की कला को देखा जा सकेगा। इस बार 17 राज्यों के 70 कलाकार अपनी कलाओं के साथ पहुंच रहे है। उनकी कृतियों को खरीदने के साथ ही उनको बनते हुए भी देखा जा सकेगा। राजस्थान के उदयपुर और दिलवाड़ा से आई छोटी यादव ने बताया कि वह पिछले 35 साल से एपिक टांका की कढ़ाई कर रही हैं।

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