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Wednesday, October 1, 2025
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Kanpur में कानूनगो आलोक दुबे 30 करोड़ की संपत्ति का मालिक, डीएम ने किया डिमोट

Kanpur News: कानपुर में कानूनगो आलोक दुबे विवादित जमीनों और अभिलेख हेराफेरी के मामले में सुर्खियों में आ गए हैं। सहायक महानिरीक्षक निबंधन की जांच में सामने आया कि उनके पास 30 करोड़ रुपये की कुल 41 संपत्तियां हैं। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने रिपोर्ट के आधार पर उन्हें कानूनगो पद से डिमोट कर लेखपाल बना दिया और उनकी सेवा पुस्तिका में परिनिन्दा दर्ज करने का आदेश दिया।

शिकायतकर्ता संदीप सिंह, जो ग्राम कला का पुरवा रामपुर भीमसेन के निवासी हैं, ने 2 दिसंबर 2024 को डीएम को शिकायत दी थी। उन्होंने बताया कि सिंहपुर कठार की गाटा 207 और रामपुर भीमसेन की गाटा 895 का वाद अदालत में चल रहा था। आरोप था कि विक्रेता का नाम खतौनी में दर्ज नहीं होने के बावजूद आलोक दुबे ने 11 मार्च 2024 को वरासत दर्ज कर उसी दिन बैनामा करवा लिया। इसके बाद 19 अक्टूबर 2024 को गाटा 207 को निजी कंपनी आरएनजी इंफ्रा को बेच दिया गया। समिति ने इस मामले को पद के दुरुपयोग, मिलीभगत और हित-संघर्ष की श्रेणी में रखा। 17 फरवरी 2025 को आलोक दुबे को निलंबित कर विभागीय जांच शुरू की गई।

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जांच के दौरान Kanpur एडीएम न्यायिक, एसडीएम सदर और एसीपी कोतवाली की कमेटी ने आलोक दुबे को दोषी पाया। 6 मार्च को चार आरोपों का आरोपपत्र जारी किया गया। नोटिस-पत्र, जवाब और साक्ष्यों के आह्वान के बाद 21 अगस्त को व्यक्तिगत सुनवाई पूरी हुई। संदीप सिंह की तहरीर पर थाना कोतवाली में 25 मार्च को कानूनगो और लेखपाल के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया। दोनों ने अरेस्टिंग स्टे ले लिया। इसी मामले में लेखपाल अरुणा द्विवेदी को भी निलंबित किया गया था। तहसीलदार सदर की जांच में उन्हें दोषी पाया गया, और जल्द ही उस पर भी कार्रवाई हो सकती है।

Kanpur सहायक महानिरीक्षक निबंधन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि आलोक दुबे के पास 8.62 हेक्टेयर भूमि, लगभग 30 करोड़ की लागत की 41 संपत्तियां हैं। ये संपत्तियां आलोक दुबे, उनकी पत्नी, पुत्रों और अरुणा द्विवेदी के नाम पर पाई गई हैं। डीएम की कार्रवाई ने साफ संदेश दिया कि पद का दुरुपयोग और संपत्ति हेराफेरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मामले की जांच और निष्पक्ष कार्रवाई से यह स्पष्ट हुआ कि सरकारी पद का दुरुपयोग और मिलीभगत करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।

 

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