झूठे आरोप और धमकी का बनाया शिकार
विनोद झा के मुताबिक, 17 फरवरी को उन्हें एक फोन कॉल आया जिसमें खुद को इनकम टैक्स अधिकारी संजय त्रिपाठी बताकर फर्जी कंपनी ‘मेसर्स ग्लोबल ट्रेडिंग कंपनी’ में टैक्स चोरी का आरोप लगाया गया। जब उन्होंने आरोपों से इनकार किया तो उन्हें केस की एफआईआर और गिरफ्तारी की धमकी दी गई। इसके बाद कॉल एक कथित पुलिस अधिकारी और फिर ‘सीबीआई अधिकारी पायल ठाकुर’ नामक महिला से जोड़ दी गई, जिसने खुद को जांच अधिकारी बताते हुए मामले को गुप्त रखने और सहयोग करने का दबाव डाला।
डर के चलते ट्रांसफर कर दिए लाखों रुपए
ठगों के लगातार डराने और भ्रमित करने के चलते झा इतने घबरा गए कि किसी को बिना बताए ठगों के बताए अनुसार पैसों का ट्रांसफर शुरू कर दिया। 25 फरवरी को उन्होंने अपने रिटायरमेंट फंड से 49.50 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद पत्नी की एलआईसी पॉलिसी तुड़वाकर 26 लाख रुपए भेजे। घर के जेवर गिरवी रखकर 6.80 लाख का गोल्ड लोन लेकर भी रकम ठगों को दे दी।
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मकान पर लोन की योजना से खुला राज
ठगों की अगली योजना झा के मकान पर 50 लाख का लोन लेने की थी, लेकिन इससे पहले ही 2 अप्रैल को उनके भतीजे को पेंशन न आने पर शक हुआ। जांच करने पर गोल्ड लोन और बैंक ट्रांजैक्शन का पता चला, जिससे पूरे मामले की सच्चाई परिवार के सामने आ गई।
वर्दी और लोगो के जरिए झांसा
साइबर ठग इतने शातिर थे कि वे वीडियो कॉल में वर्दी पहनकर, पीछे सीबीआई का लोगो और फाइलों के ढेर दिखाकर झा को भरोसे में लेते रहे। कॉल के दौरान अफसरों जैसी आवाज़ें भी सुनाई देती थीं।
शिकायत दर्ज, जांच जारी
इस पूरी ठगी की शिकायत पनकी थाने और साइबर थाने में की गई है। एडीसीपी पश्चिम विजेंद्र द्विवेदी ने बताया कि मामला संज्ञान में लिया गया है और जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी। पीड़ित विनोद झा ने पुलिस से तत्काल एफआईआर दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।