spot_img
Monday, October 13, 2025
More
    -विज्ञापन-

    More From Author

    सिर्फ दशहरे पर ही खुलता है, भव्य श्रृंगार के साथ सजते हैं दशानन, जानें 155 साल पुराने मंदिर के बारे में

    Kanpur : भारत में दशहरा समारोह रावण दहन का प्रतीक माना जाता है, जिसमें रावण को बुराई के रूप में दर्शाया जाता है और उसकी पराजय को विजय के रूप में मनाया जाता है। ​लेकिन कानपुर के शिवाला क्षेत्र में एक ऐसा मंदिर मौजूद है, जहां रावण की पूजा की जाती है।

    ​यह मंदिर लगभग 158 वर्ष पुराना है और खासतौर पर दशहरे के दिन इसके कपाट खोले जाते हैं। इस दिन यहां भक्तजन दशानन रावण की पूजा और आरती करते हैं, जिससे यह एक अनोखी धार्मिक परंपरा का केंद्र बन जाता है।

    कहा जाता है कि महाराज गुरु प्रसाद शुक्ल ने वर्ष 1868 में इस मंदिर का निर्माण किया था। वे भगवान शिव के महान भक्त थे और रावण को शक्ति तथा विद्या का प्रतीक मानते थे। मंदिर में मौजूद रावण की प्रतिमा को शक्ति का प्रहरी माना जाता है, और विजयदशमी के अवसर पर इसका विशेष श्रृंगार एवं पूजन किया जाता है। सुबह से मंदिर के कपाट खुल जाते हैं और शाम को आरती के साथ विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। ​पूरे साल इस मंदिर के कपाट बंद रहते हैं और केवल दशहरे के दिन ही यहाँ दर्शन संभव होते हैं।

    यह भी पढ़ें : कला, धर्म और समाज का अद्वितीय संगम है सुल्लामल रामलीला, अंग्रेजों के दौर से गाजियाबाद में

    यह मंदिर भक्तों के लिए एक अनोखा स्थल है, जहां बुराई के प्रतीक रावण को शक्ति और विद्या का दूत माना जाता है। यहाँ की मान्यता है कि रावण की पूजा करने से भक्तों को शक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है। दशहरे के दिन इस मंदिर में आयोजित पूजा और आरती का भक्तों के बीच विशेष महत्व है।

    Latest Posts

    -विज्ञापन-

    Latest Posts