Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की गई एंटीबायोटिक दवा सिप्रोफ्लॉक्सिन 500 मिग्रा की गुणवत्ता पर गंभीर संदेह जताया गया है। मरीजों ने शिकायत की है कि दवा का रैपर खोलते ही गोली बिखर जाती है और चूरन जैसी हो जाती है। यह घटना उस समय सामने आई है जब जहरीले कफ सिरप के मामलों ने पहले ही लोगों का भरोसा दवाओं से हिला दिया था।
बताया गया है कि यह दवा राज्य मेडिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के माध्यम से लखनऊ के कई सरकारी अस्पतालों में भेजी गई थी। संदिग्ध दवा का बैच नंबर CPT 24076 है, जिसकी एक्सपायरी अगस्त 2027 बताई जा रही है। लेकिन इतनी लंबी एक्सपायरी डेट होने के बावजूद गोली का खराब होना अस्पताल प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गया है। मरीजों के अनुसार, गोली का रंग और बनावट सामान्य से अलग है।
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Lucknow फार्मासिस्टों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से इस बैच की दवा को लेकर कई शिकायतें सामने आ चुकी हैं। जैसे ही नई शिकायतें आईं, अस्पताल प्रशासन ने तुरंत जांच के आदेश जारी किए। स्वास्थ्य विभाग ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए दवा के नमूने लैब में भेजने का निर्णय लिया है। अधिकारियों का कहना है कि अगर गुणवत्ता में खामी पाई गई तो पूरे बैच को तुरंत वापस मंगाया जाएगा और नई खेप भेजी जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, यह पहली बार नहीं है जब Lucknow सरकारी अस्पतालों को दी गई दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हुए हों। इससे पहले भी ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने वाली दवाएं — टेल्मीसार्टन 40 मिग्रा और अमलोडिपिन — में नमी और खराबी की शिकायतें मिल चुकी हैं। उन मामलों में भी मेडिकल कॉर्पोरेशन को पूरा बैच वापस मंगाना पड़ा था।
Lucknow स्वास्थ्य विभाग ने अब सभी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि किसी भी संदिग्ध दवा की शिकायत तुरंत दर्ज की जाए और उसकी सप्लाई रोक दी जाए। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि दोषी सप्लायर और निर्माता पर सख्त कार्रवाई होगी। लगातार हो रही ऐसी घटनाएं सरकारी दवाओं की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़ा कर रही हैं, जिससे मरीजों में भय और अविश्वास का माहौल बन गया है।