Maharashtra Assembly Election Results: महाराष्ट्र में 288 सीटों के लिए हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे लगभग आ चुके हैं, जिसमें महायुति (बीजेपी, शिवसेना, एनसीपी) गठबंधन को भारी जीत मिली है और गठबंधन सत्ता में वापसी कर रहा है। वहीं दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (MVA) को करारी हार का सामना करना पड़ा है। बीजेपी की जीत की आंधी ऐसी चली कि पूर्व मुख्यमंत्री और खुद को असली शिवसेना बताने वाले उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की राजनीति को बड़ा झटका लगा है। इस चुनाव में इस गठबंधन की हालत ऐसी हो गई है कि दिग्गज नेता विपक्ष का नेता बनने के लायक भी नहीं हैं। आखिर महायुति को इतनी बड़ी जीत कैसे मिल गई और महा विकास अघाड़ी कैसे हार गई, तो चलिए जानते इसके पीछे की कुछ खास वजह के बारे में…
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जानिए ये 5 सबसे बड़ी वजह
- महा विकास अघाड़ी में सीटों को लेकर अनबन और अपना दबदबा दिखाने के साथ ही पार्टियों में अंदरूनी कलह और गुटबाजी हावी रही। मतभेद इतना ज्यादा था कि सब कुछ खुलकर सबके सामने आ गया। वहीं महायुति की जीत न केवल गठबंधन की मजबूती और एकता को दर्शाती है।
- देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे की जोड़ी के साथ भाजपा ने मजबूत चुनावी जमीन पर काम किया और नेताओं ने जनता के सामने कोई मतभेद उजागर नहीं किया। पिछले कुछ सालों में महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की मुख्य पार्टियों कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी की लोकप्रियता में कमी आई है। खासकर मतदाताओं के बीच इन पार्टियों की विश्वसनीयता खत्म हुई है।
- वहीं दूसरी ओर भाजपा की लोकप्रियता बढ़ी है और भरोसा भी बढ़ा है, जिसका एक उदाहरण लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला। शिवसेना का विभाजन और फिर एनसीपी का विभाजन महाराष्ट्र की राजनीति के लिए बड़ी बात रही। दोनों पार्टियों के दो हिस्सों में बंटने का फायदा भाजपा को मिला, दोनों पार्टियों का एक हिस्सा भाजपा के साथ खड़ा रहा और भाजपा ने पूरा सम्मान दिया।
- वहीं विपक्षी एकता का प्रदर्शन कर भारत गठबंधन की नींव रखी गई जिसमें महाराष्ट्र ने अहम भूमिका निभाई लेकिन यह गठबंधन कमजोर साबित हुआ। कांग्रेस में नेतृत्व संकट का खामियाजा लोकसभा और कई राज्यों की विधानसभाओं में भुगतना पड़ा, इस चुनाव में भी महाविकास अघाड़ी में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस द्वारा तत्काल निर्णय न ले पाना भी हार का बड़ा कारण रहा।
- जबकि भाजपा का कुशल नेतृत्व और चुनाव प्रबंधन उसकी जीत का मुख्य कारण रहा। महाविकास अघाड़ी में नेतृत्व वरिष्ठ नेताओं के हाथ में है और उसे भाई-भतीजावाद के आरोप भी झेलने पड़े हैं, जबकि महायुति में नेतृत्व युवाओं के हाथ में है और वहां संगठन और गठबंधन को महत्व दिया गया। युवा नेताओं ने भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई, यह भी एक कारक रहा।
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