BSP Supremo: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक बार फिर चेतावनी देते हुए उन्हें राजनीतिक चालबाजियों से सावधान रहने को कहा है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट के जरिए यह संदेश साझा किया, जिसमें उन्होंने खासतौर पर कांग्रेस, बीजेपी और समाजवादी पार्टी के प्रति सचेत रहने की बात कही है।
2. साथ ही, विरोधी पार्टियों के षड्यन्त्र के तहत् पार्टी के कुछ लोग, उनके बहकावे में आकर जब अपनी ख़ुद की पार्टी को कमज़ोर करने में लग जाते हैं, या फिर पार्टी में अनुशासनहीनता अपनाने व परिपक्वता के साथ कार्य ना करने के कारण तब उन्हें मजबूरी में, पार्टी हित में निकालना पड़ता है।
— Mayawati (@Mayawati) April 28, 2025
मायावती ने कहा कि अक्सर बसपा के कुछ नेता विरोधी दलों के बहकावे में आकर पार्टी छोड़ देते हैं, लेकिन कुछ ही समय में उन्हें यह एहसास होता है कि उनका फैसला गलत था। जब ऐसे नेता दोबारा पार्टी में शामिल होते हैं, तो विरोधी पार्टियां इस पर सवाल उठाते हुए बसपा की छवि को धूमिल करने की कोशिश करती हैं। वहीं, जब यही प्रक्रिया उनके अपने दलों में होती है, तो वे उसे सामान्य राजनीतिक घटना बताकर टाल जाते हैं।
4. और जब यही कार्य विरोधी पार्टीयाँ करती हैं तब उसे वे पार्टी हित का मामला कहकर टाल देती हैं, लेकिन बीएसपी के मामले में इसे ये किस्म-किस्म की संज्ञा देकर इस पार्टी की छवि को ख़राब करने की कोशिश करती हैं। यह सब इनका दोहरा मापदण्ड नहीं है तो और क्या है? पार्टी के लोग सतर्क रहें।
— Mayawati (@Mayawati) April 28, 2025
BSP Supremo ने अपने पोस्ट में लिखा कि बसपा एक आंदोलन है, जो डॉ. भीमराव अंबेडकर के स्वाभिमान और आत्म-सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित है। इस आंदोलन को सत्ता तक पहुंचाने के लिए पार्टी में अनुशासन और निष्ठा जरूरी है। जब कुछ कार्यकर्ता इस अनुशासन को तोड़ते हैं या अपरिपक्व व्यवहार करते हैं, तो उन्हें पार्टी से निकालना पड़ता है – यह फैसला व्यक्तिगत नहीं बल्कि संगठन और मिशन के हित में होता है।
मायावती ने विरोधियों पर “दोहरा मापदंड” अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब बसपा में आने-जाने की प्रक्रिया होती है तो उसे नकारात्मक नजरिये से देखा जाता है, जबकि अन्य पार्टियों में यही बात सामान्य रूप से स्वीकार की जाती है।
BSP Supremo ने पार्टी कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश दिया कि वे किसी भी परिस्थिति में भावनात्मक या बाहरी दबाव में आकर निर्णय न लें। किसी भी राजनीतिक दल की बातों में आकर अपने आंदोलन को कमजोर न करें।
मायावती का यह संदेश पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए दिशा-निर्देश की तरह है, जो उन्हें संगठन की मजबूती और विपक्षी षड्यंत्रों से निपटने के लिए सतर्क करता है।