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Thursday, August 28, 2025
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बिना हेलमेट नहीं मिलेगा पेट्रोल, UP में 1 सितंबर से शुरू होगा ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ अभियान

UP traffic campaign: उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए योगी सरकार ने सख्त कदम उठाया है। 1 से 30 सितंबर तक पूरे प्रदेश में ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान बिना हेलमेट पहने बाइक सवारों को किसी भी पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं दिया जाएगा। सरकार का मानना है कि यह कदम नागरिकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। जिलाधिकारी के नेतृत्व में जिला सड़क सुरक्षा समिति (DRSC) के समन्वय से यह अभियान संचालित होगा, जिसमें पुलिस, परिवहन विभाग और जिला प्रशासन की संयुक्त जिम्मेदारी तय की गई है। योगी सरकार ने नागरिकों, तेल कंपनियों और पेट्रोल पंप संचालकों से सहयोग की अपील की है।

हेलमेट पहनने की अनिवार्यता पर जोर

UP सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस अभियान का मकसद लोगों पर दबाव डालना नहीं, बल्कि उन्हें हेलमेट पहनने की आदत डालना है। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 129 के तहत दोपहिया वाहन चालक और पीछे बैठने वाले व्यक्ति दोनों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य है। वहीं, धारा 194D इस नियम का उल्लंघन करने वालों पर दंड का प्रावधान करती है। सर्वोच्च न्यायालय की सड़क सुरक्षा समिति ने भी सभी राज्यों को हेलमेट अनुपालन को प्राथमिकता देने की सलाह दी है। सरकार चाहती है कि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों और गंभीर चोटों को कम करने के लिए लोग खुद पहल करें और इस अभियान का हिस्सा बनें।

तेल कंपनियों और पंप संचालकों की भूमिका

UP परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कहा कि ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ दंड नहीं, बल्कि सुरक्षा की दिशा में लिया गया संकल्प है। उन्होंने बताया कि इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और एचपीसीएल जैसी तेल कंपनियों को इस अभियान में सक्रिय सहयोग देने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, सभी पेट्रोल पंप संचालकों से भी अपील की गई है कि वे बिना हेलमेट वाले किसी भी बाइक सवार को तेल न दें। खाद्य एवं रसद विभाग पेट्रोल पंपों पर इस नियम की निगरानी करेगा, जबकि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग लोगों को जागरूक करने का काम करेगा।

जीवन की सुरक्षा सर्वोपरि

UP सरकार का मानना है कि “हेलमेट पहले, ईंधन बाद में” का नियम सभी को अपनी आदत बना लेना चाहिए। अधिकारियों का कहना है कि हेलमेट पहनना जीवन का सबसे आसान और सुलभ बीमा है। प्रशासन का लक्ष्य है कि नागरिक, उद्योग और सरकारी विभाग मिलकर सड़क सुरक्षा के राष्ट्रीय उद्देश्य को सफल बनाएं और दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या को कम करें।

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