Noida में बन सकता है नगर निगम, मेयर और पार्षद चुनाव की चर्चा तेज

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Noida

Noida Municipal Corporation: नोएडा में नगर निगम बनने की चर्चा फिर से तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार को सुझाव दिया कि वह नोएडा अथॉरिटी को नगर निगम में बदलने पर विचार करे। फिलहाल, नोएडा देश का इकलौता बड़ा शहर है जहां कोई चुनी हुई स्थानीय सरकार नहीं है। यहां का पूरा कामकाज नोएडा अथॉरिटी संभालती है, जबकि दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में यह जिम्मेदारी नगर निगम निभाता है। अगर नोएडा में भी नगर निगम का गठन होता है तो नागरिकों को मेयर और पार्षद चुनने का अधिकार मिलेगा। इससे शहरवासियों को बेहतर सेवाएं, पारदर्शी शासन और चुने हुए प्रतिनिधियों से सीधा संवाद स्थापित करने का मौका मिल सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से नई बहस

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि नोएडा अथॉरिटी को नगर निगम का रूप देने पर विचार होना चाहिए। फिलहाल, नोएडा ऐसा बड़ा शहर है जहां चुनी हुई स्थानीय सरकार नहीं है। सारे काम विकास प्राधिकरण ही देखता है। अदालत के सामने नोएडा अथॉरिटी से जुड़े भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामलों की सुनवाई चल रही थी। इसी दौरान कोर्ट ने कहा कि पारदर्शिता और जनता के हित में यहां लोकतांत्रिक व्यवस्था जरूरी है।

नोएडा की वर्तमान व्यवस्था

Noida की स्थापना 1976 में हुई थी। इसे उत्तर प्रदेश इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट एक्ट के तहत औद्योगिक टाउनशिप के रूप में बनाया गया। उद्देश्य था दिल्ली से उद्योगों को बाहर ले जाना। आज नोएडा में 81 गांव और 20,316 हेक्टेयर जमीन शामिल है। यहां एक IAS अधिकारी बतौर CEO कामकाज संभालता है। समस्या यह है कि विकास प्राधिकरण नागरिक सेवाएं भी संभाल रहा है, जबकि यह जिम्मेदारी नगर निगम की होनी चाहिए।

बाकी शहरों से अंतर

दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में अलग-अलग निकाय हैं। दिल्ली में DDA योजना बनाती है और MCD नागरिक सेवाएं देखती है। मुंबई में MMRDA विकास का जिम्मा उठाती है और BMC सफाई, कचरा और स्वास्थ्य सुविधाओं की देखरेख करती है। लेकिन नोएडा में सब कुछ एक ही अथॉरिटी करती है, जिससे जवाबदेही की कमी दिखती है।

नगर निगम बनने के फायदे

Noida नगर निगम बनने पर लोगों को चुनी हुई स्थानीय सरकार मिलेगी। मेयर और पार्षद जनता के प्रतिनिधि होंगे और सीधा जवाबदेह रहेंगे। इससे शासन ज्यादा पारदर्शी और नागरिक-अनुकूल होगा। स्वास्थ्य, सफाई, स्ट्रीट लाइट, पार्किंग, कचरा प्रबंधन और सीवरेज जैसी सुविधाएं निगम के हाथों में होंगी।

पुरानी मांग और संभावनाएं

2017 में भी नोएडा में नगर निगम बनाने की मांग उठी थी। उस समय जिलाधिकारी ने इसकी सिफारिश की थी, लेकिन बाद में यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। अब सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद एक बार फिर उम्मीद जगी है कि नोएडा में चुनी हुई स्थानीय सरकार स्थापित हो सकती है।

Noida देश का महत्वपूर्ण औद्योगिक और शहरी केंद्र है। लेकिन यहां लोकतांत्रिक स्थानीय शासन की कमी हमेशा महसूस की गई। अगर नगर निगम बना तो न केवल सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि नागरिकों की आवाज को भी सही प्रतिनिधित्व मिलेगा।