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Monday, August 18, 2025
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Pooja Pal का सपा पर वार, अखिलेश और पीडीए रणनीति पर तीखा बयान

Pooja Pal Slam Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी से निष्कासित चायल विधानसभा सीट की विधायक पूजा पाल ने एक बार फिर पार्टी नेतृत्व और खासकर अध्यक्ष अखिलेश यादव पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने एएनआई को दिए बयान में साफ कहा कि वे अपने पुराने बयान से पीछे नहीं हटेंगी और मानती हैं कि सपा ने उनके साथ अन्याय किया है।

Pooja Pal ने खुद को प्रयागराज की महिलाओं और पीड़ित परिवारों की आवाज बताते हुए कहा कि जिन माताओं-बहनों ने अपने प्रियजनों को खोया, वही उन्हें विधानसभा तक लेकर आईं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अतीक अहमद जैसे अपराधियों से पूरे शहर को न्याय दिलाया, जबकि सपा ने उनकी पीड़ा को नज़रअंदाज़ किया।

अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए Pooja Pal ने कहा कि उन्होंने पार्टी में रहते हुए भी सच्चाई बोलने से परहेज नहीं किया। वे बताती हैं कि पति की दिनदहाड़े हत्या के बाद, नवविवाहिता और अकेलेपन के दौर में, उन्होंने न्याय की लड़ाई लड़ी। उनके अनुसार, यह व्यक्तिगत पीड़ा राजनीति में उनके रुख को तय करने वाली सबसे बड़ी वजह रही।

सपा की पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति पर उन्होंने सीधे सवाल उठाए। उनका कहना है कि वे खुद एक पिछड़ी जाति से हैं और अन्याय झेलने के बाद सार्वजनिक जीवन में आईं, लेकिन सपा ने अपने व्यवहार से साबित किया कि वह पीडीए के वास्तविक हित में नहीं है। यह बयान सपा की 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए बनाई गई रणनीति पर एक बड़ा प्रहार माना जा रहा है।

निष्कासन पर प्रतिक्रिया देते हुए Pooja Pal ने कहा कि उन्हें सच्चाई बोलने की सजा दी गई है, लेकिन वे अपने लोगों के साथ खड़ी रहेंगी। उन्होंने संकेत दिया कि आगे भी राजनीति में सच और न्याय की लड़ाई जारी रखेंगी।

राजनीतिक हलकों में उनके बयान ने हलचल मचा दी है। सपा के भीतर इसे भाजपा की ओर से प्रेरित कदम माना जा रहा है, जबकि भाजपा इसे सपा की आंतरिक कमजोरी और असफल रणनीति का प्रमाण बता रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पूजा पाल जल्द ही भाजपा का दामन थाम सकती हैं। यदि ऐसा हुआ, तो उन्हें योगी सरकार में मंत्री पद या 2027 के चुनाव में अहम भूमिका मिल सकती है।

Pooja Pal का यह रुख न केवल सपा के लिए, बल्कि उत्तर प्रदेश की सियासत के लिए भी एक नया मोड़ साबित हो सकता है। खासकर उस वक्त, जब सपा चुनावी तैयारियों में जुटी है, उनका यह हमला पार्टी की रणनीति और एकजुटता पर सवाल खड़े कर सकता है।

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