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Sunday, August 24, 2025
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Pooja Pal को जान का खतरा, अखिलेश यादव ने केंद्र से जांच की मांग की

Pooja Pal threat to life: समाजवादी पार्टी से हाल ही में निष्कासित विधायक पूजा पाल ने अपनी सुरक्षा को गंभीर खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी हत्या होती है तो इसका जिम्मेदार पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव होंगे। इस मुद्दे पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप और जांच की मांग की है। उन्होंने साफ कहा कि अगर बीजेपी वाले हमला करते हैं तो उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। अखिलेश ने यह भी कहा कि यूपी सरकार पर भरोसा नहीं है और केवल केंद्र सरकार से निष्पक्ष जांच की उम्मीद की जा सकती है।

रविवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि यह स्थिति बेहद चिंताजनक है कि किसी विधायक को अपने ही पूर्व दल के नेताओं से जान का खतरा महसूस हो। उन्होंने कहा, “कोई मुख्यमंत्री से मिले और उसे जान का खतरा दूसरे दल के नेता से हो, यह कैसे संभव है। अब अगर बीजेपी वाले मार देंगे तो जेल हम चले जाएंगे।” अखिलेश ने जोर देकर कहा कि किसी की जान पर खतरा होने की स्थिति में इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। यह पता लगाना आवश्यक है कि इस खतरे के पीछे कौन और किस संगठन के लोग हैं।

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अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी की सरकार पर भरोसा नहीं है, इसलिए केंद्र सरकार से मामले की जांच कराना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्होंने केंद्र के गृह मंत्रालय को पत्र भी लिखा है और उम्मीद जताई कि वहां से न्याय मिलेगा। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि इतने वर्षों तक पूजा पाल पार्टी में थीं और उन्हें कोई खतरा नहीं था। अब अचानक यह खतरा क्यों उत्पन्न हुआ, यह जनता आसानी से समझ सकती है।

Pooja Pal ने शुक्रवार को अखिलेश यादव को पत्र लिखकर पार्टी और सोशल मीडिया पर मिल रही धमकियों का जिक्र किया। पत्र में उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के अनुयायियों द्वारा उन्हें गाली-धमकी दी जा रही है, यहां तक कि जान से मारने की भी कोशिश की जा रही है। उन्होंने लिखा कि उन्होंने अपने पति के हत्यारों को सजा दिला दी है और अब अगर उन्हें भी नुकसान हुआ तो गर्व होगा। Pooja Pal ने आरोप लगाया कि सपा ने उन्हें बीच रास्ते में अपमानित किया, जिससे उनके विरोधियों का मनोबल बढ़ गया। उन्होंने चेतावनी दी कि संभव है उनकी हत्या भी हो जाए। पत्र में स्पष्ट किया गया कि अगर ऐसा हुआ तो सरकार और प्रशासन को वास्तविक दोषी के रूप में अखिलेश यादव को माना जाना चाहिए।

इस पूरे मामले में राजनीतिक और सुरक्षा दोनों ही गंभीर पहलू हैं। यह घटनाक्रम न केवल सपा के अंदरूनी मतभेद को उजागर करता है, बल्कि यूपी में नेताओं और पूर्व नेताओं की सुरक्षा के सवाल को भी प्रमुखता से सामने लाता है।

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