Pooja Pal expulsion: समाजवादी पार्टी से निष्कासित विधायक पूजा पाल और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच चल रहा टकराव लगातार तेज़ होता जा रहा है। रविवार को अखिलेश यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद पूजा पाल ने एक और धमाकेदार पत्र जारी किया, जिसमें उन्होंने अखिलेश पर गंभीर आरोप लगाए। पूजा ने साफ कहा कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी या उसके नेताओं से कोई खतरा नहीं है, बल्कि असली खतरा सपा के संरक्षण में पल रहे अपराधियों से है। उन्होंने चुनौती दी कि “पूजा पाल को मिटाना आसान नहीं है”, क्योंकि उनके साथ पाल समाज और उनके क्षेत्र की पूरी जनता खड़ी है।
अखिलेश के बयान पर सीधा पलटवार
Pooja Pal ने नए पत्र में अखिलेश यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस और ट्वीट्स का जवाब देते हुए उन पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने लिखा कि उन्हें उम्मीद थी कि अखिलेश उनके सवालों का स्पष्ट उत्तर देंगे, लेकिन इसके बजाय उन्होंने ट्वीट, पत्र और प्रेस कॉन्फ्रेंस का सहारा लिया। पूजा ने कहा, “आप भूल गए कि जिन तीन चुनावों में आपने मेरे खिलाफ प्रत्याशी खड़े किए, उनमें से एक माफिया अतीक अहमद का भाई अशरफ था। फिर भी समाज ने मेरा डटकर साथ दिया।”
पति की हत्या और सपा की भूमिका
अपने पत्र में पूजा पाल ने यह भी आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी ने न केवल उनका विरोध किया, बल्कि उनके पति की हत्या करने वाले दुर्दांत माफिया को भी उनके खिलाफ चुनाव में उतारा। उन्होंने लिखा, “जब मुझे सबसे अधिक सहारे की ज़रूरत थी, तब सपा ने अपराधियों को साथ दिया। लेकिन मैं अपने क्षेत्र की जनता और पाल समाज की आभारी हूं, जिन्होंने अपराधियों के खिलाफ मेरा हौसला बढ़ाया।”
मंत्री बनने की चाहत नहीं, न्याय चाहिए था
अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए Pooja Pal ने साफ किया कि उन्हें मंत्री पद की कोई लालसा नहीं थी। उनका एकमात्र उद्देश्य अपने पति के हत्यारों को सजा दिलाना था। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्याय दिलाया, मेरे पति के हत्यारे मिट्टी में मिल गए। लेकिन आप अपराधियों को संरक्षण देकर जो पाप कर रहे हैं, उसे आने वाली पीढ़ियां कभी माफ नहीं करेंगी।”
‘माफिया का नाम लिया, पार्टी से निकाल दिया’
Pooja Pal ने दावा किया कि उन्हें सपा से केवल इसलिए निष्कासित किया गया क्योंकि उन्होंने विधानसभा में अतीक अहमद का नाम लिया। उन्होंने कहा, “समाज में भ्रम फैलाया गया कि मैंने राज्यसभा चुनाव में सपा के खिलाफ वोट दिया, लेकिन सच्चाई यह है कि मेरा निष्कासन तब हुआ जब मैंने सदन में माफिया का नाम लिया।”