Pope Francis death: वेटिकन सिटी से 21 अप्रैल 2025 को विश्व को झकझोर देने वाली खबर आई कि पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अर्जेंटीना में जन्मे जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो, जो 2013 से कैथोलिक चर्च के प्रमुख रहे, लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। हाल ही में उन्हें दोहरे निमोनिया और अन्य श्वसन संबंधी जटिलताओं के चलते रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मार्च मेंPope Francis की तबीयत में थोड़ी राहत मिली थी, लेकिन उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता रहा। वेटिकन ने कुछ दिन पहले ही घोषणा की थी कि पोप अपनी अंतिम अवस्था में हैं।
उनके निधन की पुष्टि वेटिकन के कैमरलेंगो कार्डिनल केविन फैरेल ने की। उन्होंने कहा कि पोप फ्रांसिस ने अपना जीवन प्रभु की सेवा में समर्पित किया। इस दुखद खबर के बाद दुनियाभर से श्रद्धांजलि संदेश आने लगे और चर्च में शोक का माहौल पसर गया।
Pope Francis का कार्यकाल कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। वह पहले जेसुइट पोप थे और यूरोप के बाहर से आने वाले पहले संत पापा थे। उन्होंने चर्च में सुधारों की शुरुआत की, विशेष रूप से सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और एलजीबीटीQ समुदाय के प्रति उदार रुख अपनाने में। उनकी 2015 की विश्व प्रसिद्ध एनसाइक्लिकल लौदातो सी ने पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाई। उन्होंने समलैंगिकता को अपराध नहीं माना और चर्च को सभी के लिए समावेशी बनाने की वकालत की।
बाल यौन शोषण जैसे गंभीर मुद्दों पर भी उन्होंने खुलकर काम किया। दोषी पादरियों पर कार्रवाई की और पीड़ितों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। इसके अलावा, उन्होंने चर्च की वित्तीय पारदर्शिता और प्रशासनिक सुधारों की दिशा में भी कदम उठाए।
अब चर्च की निगाहें नए पोप के चयन की ओर हैं। कॉन्क्लेव की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी, जिसमें 80 वर्ष से कम आयु के कार्डिनल भाग लेंगे। चर्च में अफ्रीकी और एशियाई कार्डिनल्स के नाम चर्चा में हैं, जिनमें कार्डिनल तागले और कार्डिनल तुर्कसन प्रमुख हैं।
नए पोप के सामने कई चुनौतियां होंगी — चर्च की एकता बनाए रखना, सुधारों को आगे बढ़ाना और वैश्विक मुद्दों पर नैतिक नेतृत्व देना। पोप फ्रांसिस के निधन ने चर्च को एक संक्रमण काल में पहुंचा दिया है, जो आने वाले समय में उसकी दिशा तय करेगा।