Prayagraj News: राम नवमी के अवसर पर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के सिकंदरा क्षेत्र में स्थित गाजी मियां की दरगाह पर भगवा झंडा फहराए जाने की घटना ने इलाके में हलचल मचा दी। इस विवादित कार्रवाई की अगुआई मनेंद्र प्रताप सिंह नामक युवक ने की, जिसने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर इस कदम का बचाव किया और दरगाह को हटाने की मांग उठाई। प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं और क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है।
घटना राम नवमी के दिन हुई, जब मनेंद्र प्रताप करीब 20 से अधिक समर्थकों के साथ दरगाह परिसर में पहुंचा। समूह ने धार्मिक नारेबाजी की और छत पर चढ़कर भगवा झंडा फहराया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिससे प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप करना पड़ा। दरगाह की छत पर भगवा झंडा फहराए जाने को कुछ लोग धार्मिक उन्माद भड़काने की कोशिश मान रहे हैं, वहीं मनेंद्र का दावा है कि उसका उद्देश्य धार्मिक स्थल की वास्तविकता को उजागर करना था।
मनेंद्र प्रताप सिंह Prayagraj के सहसो गांव का निवासी है। उसने खुद को इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी का पूर्व छात्र नेता और संघ तथा भाजपा से जुड़ा कार्यकर्ता बताया है। उसका कहना है कि दरगाह जिस जमीन पर बनी है, वहां पूर्व में हिंदू संतों की समाधियां थीं। वह प्रशासन से इस भूमि की पैमाइश और जांच की मांग कर चुका है। मनेंद्र के अनुसार, यह दरगाह सालार मसूद गाजी की नहीं हो सकती क्योंकि वह एक विदेशी आक्रांता था, और तीर्थराज प्रयाग में ऐसे किसी आक्रांता की स्मृति नहीं होनी चाहिए।
इस पूरे मामले में Prayagraj प्रशासन ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। स्थानीय पुलिस ने स्वीकार किया है कि वहां पांच हिंदू समाधियां मौजूद हैं, लेकिन गाजी मियां या मसूद गाजी का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है। अधिकारियों ने कहा है कि कानून व्यवस्था भंग करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
इलाके में फिलहाल शांति बनी हुई है, लेकिन माहौल तनावपूर्ण है। Prayagraj प्रशासन ने सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट न फैलाने की अपील की है और लोगों से संयम बनाए रखने को कहा है।
इस प्रकरण ने एक बार फिर धार्मिक स्थलों से जुड़ी ऐतिहासिक सच्चाई, दावों और भावनाओं को लेकर सार्वजनिक बहस को जन्म दे दिया है। जहां कुछ लोग मनेंद्र प्रताप को धार्मिक जागरूकता का प्रतीक मान रहे हैं, वहीं कई लोग उसे सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला मान रहे हैं। आगामी दिनों में प्रशासन की कार्रवाई और जांच की रिपोर्ट से इस विवाद की दिशा स्पष्ट हो सकेगी।