Premanand Maharaj live in relationship: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने एक बार फिर लिव इन रिलेशनशिप को लेकर बड़ा बयान दिया है। मंगलवार को श्रीहित राधा केलि कुंज आश्रम में प्रवचन के दौरान उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति की नींव चरित्र, मर्यादा और संस्कारों पर आधारित है। ऐसे में विदेशों की अंधी नकल करना और पैसों के पीछे भागना जीवन का उद्देश्य नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, “एक लड़के से प्यार करो, उसके साथ रहो, उसकी फैमिली से मिलो और शादी कर लो। ऐसा नहीं कि 10 दिन किसी के साथ रहो, फिर 10 दिन किसी और के साथ। एक बार चरित्र चला गया, तो वह कभी वापस नहीं आता।”
विदेशों की नकल पर कड़ी टिप्पणी
Premanand Maharaj ने प्रवचन के दौरान कहा कि आजकल के युवा विदेशों की जीवनशैली को आधुनिकता समझकर लिव इन रिलेशनशिप की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पैसा ही जीवन का लक्ष्य नहीं हो सकता। अगर विदेशों का मॉडल इतना ही अच्छा है तो फिर वहीं के लोग भारत में संतों और आध्यात्मिकता की ओर क्यों आकर्षित होते हैं। उन्होंने बताया कि भारत की संस्कृति में परिवार, विवाह और स्थायी रिश्तों को सर्वोपरि माना गया है, इसलिए अपनी जड़ों से जुड़कर ही जीवन में स्थिरता पाई जा सकती है।
पहले भी दिए हैं विवादित बयान
यह पहली बार नहीं है जब Premanand Maharaj ने लिव इन रिलेशनशिप पर अपनी राय रखी हो। इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि आज के समय में सौ में से मुश्किल से दो-चार लड़कियां ही ऐसी हैं जो पवित्र जीवन जीते हुए खुद को एक पुरुष को समर्पित करती हैं। बाकी अधिकतर बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड के चक्कर में उलझी हुई हैं। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था और इसे लेकर खूब बहस भी छिड़ी थी।
अनिरुद्धाचार्य के बयान ने भी मचाया था बवाल
Premanand Maharaj के बयान के बाद कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने भी इसी मुद्दे पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि “25 साल की उम्र तक ज्यादातर लड़कियां चार जगह मुंह मार चुकी होती हैं।” उनके इस बयान ने जबरदस्त विवाद खड़ा कर दिया था। विरोध बढ़ने पर अनिरुद्धाचार्य को सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगनी पड़ी थी।
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि आधुनिकता की अंधी दौड़ में युवाओं को अपनी मर्यादाएं नहीं भूलनी चाहिए। उनका संदेश साफ है – परिवार, संस्कार और चरित्र को प्राथमिकता देकर ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है।