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Monday, August 25, 2025
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प्रेमानंद महाराज बनाम रामभद्राचार्य: कौन सच में चमत्कारी? धार्मिक जगत में हलचल

Rambhadracharya Challange Premanand Maharaj: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज और तुलसी पीठ के संस्थापक जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बीच हाल ही में धार्मिक बहस चर्चा में आई है। रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज को चमत्कारी पुरुष मानने से इनकार करते हुए उन्हें चुनौती दी कि यदि वे वास्तव में विद्वान हैं, तो उनके सामने कोई भी संस्कृत शब्द बोलकर दिखाएं या उनके द्वारा बोले गए संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में स्पष्ट रूप से समझाएं। उनका कहना है कि असली चमत्कार वही है जो शास्त्रार्थ में सहजता से दिखाई दे और श्लोकों का अर्थ समझा जा सके। दूसरी ओर, प्रेमानंद महाराज अपने भजनों और प्रवचनों के कारण भक्तों में बेहद लोकप्रिय हैं। सोशल मीडिया पर उनके वीडियो तेजी से वायरल होते हैं और देश-विदेश से लोग उनके आश्रम दर्शन के लिए आते हैं। इस विवाद ने भक्तों और धार्मिक जगत में हलचल पैदा कर दी है।

Rambhadracharya की चुनौती

तुलसी पीठ के संस्थापक जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि वह प्रेमानंद महाराज को चमत्कारी पुरुष नहीं मानते। उन्होंने कहा, “प्रेमानंद महाराज मेरे लिए बालक समान हैं। मेरे मन में उनके प्रति कोई दुर्भावना नहीं है, लेकिन उन्हें विद्वान या चमत्कारी पुरुष नहीं मान सकता। अगर वे सच में चमत्कारी हैं, तो मेरे सामने कोई संस्कृत शब्द बोलकर दिखाएं।” उनके अनुसार, चमत्कार वही है जो विद्वानों के बीच सहज शास्त्रार्थ में दिखाई दे और श्लोकों का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाया जा सके।

संस्कृत श्लोक का अर्थ समझाने की चुनौती

Rambhadracharya ने प्रेमानंद महाराज को चुनौती दी कि यदि वे चाहते हैं तो वह कोई भी संस्कृत श्लोक बोलेंगे और प्रेमानंद महाराज उसे हिंदी में समझाएं। उनका यह भी कहना है कि केवल भजन या प्रवचन से प्रभावित होना चमत्कार नहीं है। असली ज्ञान वही है जो शास्त्रों के गहन अर्थ को समझने और समझाने की क्षमता रखता हो।

भक्तों में लोकप्रियता

प्रेमानंद महाराज के भजन और प्रवचन भक्तों में बेहद लोकप्रिय हैं। उनके आश्रम में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं और सोशल मीडिया पर उनके प्रवचन तुरंत वायरल हो जाते हैं। वह हमेशा पीले वस्त्र पहनते हैं और माथे पर पीला चंदन लगाते हैं। पिछले 19 सालों से वे किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और नियमित डायलिसिस पर निर्भर हैं।

रामभद्राचार्य की विद्वता

चित्रकूट स्थित तुलसी पीठ के संस्थापक Rambhadracharya को चार विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की उपाधि मिली है। वे जन्म से नेत्रहीन हैं, फिर भी चारों ओर अपनी विद्वता के लिए जाने जाते हैं। 80 से अधिक किताबों के लेखक होने के साथ ही वे शास्त्रार्थ और धार्मिक ज्ञान के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं।

इस विवाद ने धार्मिक जगत में बहस और चर्चा को जन्म दिया है। एक ओर रामभद्राचार्य का विद्वता आधारित दृष्टिकोण है, तो दूसरी ओर प्रेमानंद महाराज की लोकप्रियता और भक्तों का समर्थन। यह घटना आधुनिक धार्मिक आस्था की जटिलताओं और विविधताओं को दर्शाती है।

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