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Wednesday, October 15, 2025
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    Rana Sanga controversy: राणा सांगा और बाबर… इतिहास और राजनीति का टकराव

    Rana Sanga controversy: भारत का मध्यकालीन इतिहास वीरता, संघर्ष और जटिल राजनीतिक समीकरणों का मिश्रण है। इसी इतिहास में मेवाड़ के महान योद्धा महाराणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) और मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर का नाम प्रमुखता से आता है। हाल ही में, समाजवादी पार्टी के नेता रामजी लाल सुमन ने राज्यसभा में राणा सांगा पर विवादित बयान देकर बहस को और बढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया और उन्हें “गद्दार” करार दिया। यह बयान न केवल ऐतिहासिक तथ्यों पर सवाल उठाता है, बल्कि राजनीतिक तुष्टिकरण और इतिहास के पुनर्लेखन की कोशिशों को भी उजागर करता है।

    Rana Sanga

    राणा सांगा की वीरता और संघर्ष

    Rana Sanga (1508-1528) मेवाड़ के महान योद्धा थे, जिनकी वीरता की मिसाल आज भी दी जाती है। उन्होंने अपने जीवन में 100 से अधिक युद्ध लड़े और कभी भी युद्धभूमि में पीठ नहीं दिखाई। उनके शरीर पर 80 से अधिक घाव थे, एक आंख और एक हाथ खो चुके थे, और एक पैर भी क्षतिग्रस्त था। इसके बावजूद उनकी हिम्मत और नेतृत्व क्षमता बेमिसाल रही। उन्होंने दिल्ली सल्तनत के इब्राहिम लोदी, मालवा और गुजरात के सुल्तानों के खिलाफ बड़ी-बड़ी जीत हासिल कीं और उन्हें “हिंदूपत” की उपाधि मिली।

    Rana Sanga

    बाबर का भारत आगमन और सच्चाई

    बाबर, जिसका पूरा नाम ज़हीर-उद-दीन मुहम्मद था, 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी। हालांकि, बाबर का भारत आगमन पंजाब के गवर्नर दौलत खान लोदी और आलम खान लोदी जैसे असंतुष्ट अफगान सरदारों के निमंत्रण पर हुआ था। बाबर की आत्मकथा ‘बाबरनामा’ में यह उल्लेख मिलता है कि राणा सांगा ने भी बाबर के पास एक दूत भेजा था और इब्राहिम लोदी के खिलाफ सहयोग का प्रस्ताव रखा था। लेकिन यह दावा पूरी तरह सटीक नहीं है क्योंकि यह पानीपत की लड़ाई के बाद का संदर्भ प्रतीत होता है।

    Rana Sanga

    इतिहासकार जैसे सतीश चंद्रा और आर.सी. मजूमदार इस दावे को नकारते हैं। उनके अनुसार, राणा सांगा की शक्ति इतनी प्रबल थी कि उन्हें बाबर की सहायता की जरूरत नहीं थी। इसके अलावा, मेवाड़ के शिलालेख, तबकात-ए-अकबरी और फरिश्ता के लेखन में भी राणा सांगा द्वारा बाबर को निमंत्रण देने का कोई प्रमाण नहीं मिलता।

    Rana Sanga

    राजनीति और इतिहास का विवाद

    रामजी लाल सुमन का बयान बीजेपी के उस दावे के जवाब में था जिसमें भारतीय मुस्लिमों को बाबर का वंशज बताया गया था। सुमन ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि मुस्लिम बाबर के वंशज हैं, तो हिंदू राणा सांगा के हैं। हालांकि, यह बयान राजनीतिक कटाक्ष के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन यह ऐतिहासिक सत्य को गलत ढंग से प्रस्तुत करने की कोशिश भी है।

    Rana Sanga और बाबर के संबंध एक ऐतिहासिक विवाद का विषय बने हुए हैं। यह स्पष्ट है कि राणा सांगा ने बाबर को भारत नहीं बुलाया था। उनका जीवन स्वतंत्रता और धर्म की रक्षा के लिए समर्पित था। इतिहास को सही रूप में समझने के लिए जरूरी है कि हम तथ्यों की गहराई से जांच करें, न कि केवल एकतरफा दृष्टिकोण अपनाएं।

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