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Tuesday, October 14, 2025
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    Sanjay Nishad on BJP: बीजेपी में विभीषणों का बोलबाला, पार्टी में मचा हड़कंप

    Sanjay Nishad on BJP: योगी सरकार में मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने फतेहपुर में दिए गए अपने बयान से सियासी हलचल मचा दी है। उन्होंने बीजेपी में दूसरे दलों से आए नेताओं को “विभीषण” करार दिया और आरोप लगाया कि ये नेता पार्टी में मलाई खा रहे हैं और लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीटें घटाने के जिम्मेदार हैं। संजय निषाद का ये बयान न सिर्फ विपक्ष को बीजेपी पर हमला करने का मौका दे रहा है, बल्कि पार्टी के अंदर भी हड़कंप मचा रहा है।

    विपक्ष के हमले और बीजेपी में हलचल

    Sanjay Nishad के इस बयान के बाद विपक्ष ने बीजेपी में अंदरूनी कलह को उजागर करने का प्रयास किया है। समाजवादी पार्टी और बसपा के नेताओं का कहना है कि निषाद ने जो कहा है, वह बीजेपी में बाहरी नेताओं के बढ़ते प्रभाव को साफ दिखाता है। वहीं, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, शीर्ष नेतृत्व जल्द ही संजय निषाद से इस बयान पर स्पष्टीकरण मांग सकता है। हालांकि, कुछ नेताओं का मानना है कि निषाद ने जो मुद्दा उठाया है, उस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

    बीजेपी में बाहरी नेताओं की लंबी सूची

    Sanjay Nishad ने इशारों में ही सही लेकिन बीजेपी में बाहरी नेताओं के बढ़ते प्रभाव को मुद्दा बना दिया है। वर्तमान में बीजेपी में ऐसे कई बड़े चेहरे हैं, जो दूसरे दलों से आकर बड़े पदों पर काबिज हो गए हैं। कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:

    • बृजेश पाठक: बसपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं और अब योगी सरकार में डिप्टी सीएम हैं।
    • नंद कुमार गुप्ता नंदी: बसपा और कांग्रेस में रह चुके नंदी 2017 में बीजेपी में आए और अब कैबिनेट मंत्री हैं।
    • डॉ. अरुण कुमार (बरेली): सपा छोड़कर बीजेपी में आए और वर्तमान में राज्यमंत्री हैं।
    • नरेंद्र कश्यप: बसपा सरकार में राज्यसभा सांसद रहे और अब बीजेपी में राज्यमंत्री हैं।
    • डॉ. धर्मपाल सिंह: बसपा और कांग्रेस में रहने के बाद अब बीजेपी विधायक हैं।
    • छोटेलाल वर्मा: बसपा और सपा से विधायक रह चुके हैं और अब बीजेपी में मौजूदा विधायक हैं।

    क्या होगा आगे?

    संजय निषाद के बयान ने बीजेपी में बाहरी और भीतरी नेताओं के बीच तनाव को उजागर कर दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी नेतृत्व इस मुद्दे को किस तरह सुलझाता है। क्या निषाद को चेतावनी दी जाएगी या फिर पार्टी में बाहरी नेताओं के प्रभाव पर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा? यूपी की राजनीति में होली से पहले ही गर्मी बढ़ चुकी है।

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