Shahjahanpur DM Office: शाहजहांपुर में मंगलवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब कांट क्षेत्र की रहने वाली एक महिला नवजात का शव लेकर डीएम दफ्तर पहुंची। महिला का आरोप था कि सोमवार को अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिस टीम में शामिल महिला कांस्टेबल ने उसे धक्का दे दिया, जिससे वह जमीन पर पेट के बल गिर पड़ी और उसका गर्भपात हो गया। महिला की शिकायत के बाद डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने तत्काल मामले की जांच के लिए टीम गठित कर दी और नवजात के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
अकर्रा रसूलपुर निवासी रवीना, पत्नी गुड्डू, ने प्रार्थना पत्र देकर बताया कि वह सात महीने की गर्भवती थी। सोमवार को सड़क चौड़ीकरण के लिए कांट रोड पर प्रशासन की ओर से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही थी। रवीना के अनुसार, वह घर पर अकेली थी और पति के न होने के कारण उसने सामान उठाने से इनकार किया। इसी दौरान महिला कांस्टेबल ने उसे धक्का दे दिया, जिससे वह गिर गई और गर्भ में पल रहे शिशु की मौत हो गई।
रवीना मंगलवार दोपहर नवजात के शव को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंची और पेड़ के नीचे बोरी बिछाकर बैठ गई। उसने सिटी मजिस्ट्रेट प्रवेंद्र कुमार को प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई। महिला की शिकायत पर प्रशासनिक अफसर तुरंत हरकत में आ गए।
हालांकि, मंगलवार शाम को घटनाक्रम ने नया मोड़ ले लिया। रवीना के पति गुड्डू ने एक वीडियो बयान जारी कर कहा कि वह कुछ लोगों के बहकावे में आकर झूठा आरोप लगा बैठे। गुड्डू के अनुसार, बच्चे का जन्म मंगलवार को हुआ था और जन्म के बाद उसकी स्वाभाविक मृत्यु हो गई थी। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान किसी तरह की धक्कामुक्की नहीं हुई।
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गुड्डू के बयान में काशीराम कॉलोनी के रहने वाले एक व्यक्ति मच्छंदर का नाम सामने आया। आरोप है कि उसने परिवार को भड़काया और कहा कि अगर गर्भपात की झूठी कहानी बनाई जाए तो कब्जा हटाने की कार्रवाई रोकी जा सकती है। साथ ही यह भी कहा गया कि यदि कब्जा हटा भी दिया गया तो डॉक्टर के प्लॉट पर दोबारा झोपड़ी डालकर प्रशासन को मजबूर किया जा सकता है।
Shahjahanpur के एसपी राजेश द्विवेदी ने कहा कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान किसी महिला के साथ धक्कामुक्की नहीं हुई। घटना के वीडियो फुटेज भी मौजूद हैं। बच्चे का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है और रिपोर्ट आने के बाद ही पूरी सच्चाई स्पष्ट होगी।
Shahjahanpur प्रशासनिक अधिकारियों का मानना है कि नवजात की आड़ में प्रशासन पर दबाव बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन वीडियो सबूतों और परिजनों के बयान ने सच्चाई सामने ला दी।