Swami Avimukteshwaranand: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर अभी कोई घोषणा नहीं हुई है लेकिन इसका चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं है। जिसको लेकर राजनीतिक हलचल अभी से ही तेज हो गई है। इसी बीच काशी पहुंचे ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बिहार चुनाव को लेकर एक बड़ा ऐलान कर दिया। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा है कि हमने गाय माता की रक्षा को लेकर हर पार्टी और राजनेता के विचार जाने हैं और अब यह साफ हो गया है कि गाय माता की रक्षा के लिए कौन खड़ा है। इसलिए हमने विचार किया है कि सिर्फ बिहार विधानसभा चुनाव ही नहीं बल्कि देश में होने वाले हर चुनाव में हम गाय माता के नाम पर उम्मीदवार उतारेंगे।
बता दें कि, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद लगातार गौ रक्षा के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं और केंद्र और राज्य सरकार में गौ मांस निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग कर रहे हैं।
शंकराचार्य गाय के नाम पर उतारेंगे उम्मीदवार
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हमने हर पार्टी और राजनेता से बात की है और अब यह साफ हो गया है कि गाय माता की रक्षा के लिए कौन सही मायने में प्रतिबद्ध है। इसलिए हमने तय किया है कि बिहार की हर विधानसभा में गौ माता के नाम पर उम्मीदवार खड़ा करेंगे। इससे जो लोग गौ माता को वोट देना चाहते हैं, वे ऐसा कर सकेंगे। हमारी कामना है कि गौ माता को राष्ट्र माता बनाने का हमारा संकल्प और मजबूत हो।
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शिंदे के शासन में गौ माता को मिला राज्य माता का दर्जा
महाराष्ट्र के मौजूदा डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जीत का आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पहला ऐसा राज्य है, जिसने तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के शासन में गौ माता को राज्य माता का दर्जा दिया है। हम खुश हैं और उन्हें जीत का आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में इस अवधि के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई कि चुनाव में उनका आशीर्वाद उन्हीं राजनीतिक दलों को मिलेगा, जो गौ माता की रक्षा करेंगे और उन्हें राज्य माता का दर्जा देंगे।
कब होंगे बिहार में विधानसभा चुनाव?
बिहार में चुनाव को लेकर अभी कोई ऑफिशियल रुप से अभी घोषणा होना अभी बाकी है लेकिन इसको लेकर कई अटकलें लगाई जा रही है कि अक्टूबर या नवंबर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। जिसमें राजनीतिक दलों के बाद अब धर्मगुरुओं की सक्रियता ने राजनीतिक दलों को उनके एजेंडे को लेकर संदेश दिया है। सत्तारूढ़ जेडीयू-भाजपा गठबंधन जहां हिंदू धर्म को लेकर गंभीर है, वहीं विपक्षी आरजेडी और कांग्रेस गठबंधन सामाजिक न्याय पर भरोसा करता है।