Swami Prasad Maurya controversy: उत्तर प्रदेश की राजनीति में अक्सर विवादों से घिरे रहने वाले पूर्व मंत्री Swami Prasad Maurya एक बार फिर कानूनी पचड़े में फंस गए हैं। वाराणसी की एक अदालत ने श्रीरामचरितमानस पर दिए गए उनके पुराने विवादित बयान को लेकर उनके खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने कैंट थाना प्रभारी को आदेश दिया है कि मामले में केस दर्ज कर जांच की जाए।
यह मामला वर्ष 2023 का है, जब 22 जनवरी को एक टीवी इंटरव्यू के दौरान सपा नेता रहे मौर्य ने श्रीरामचरितमानस को “बकवास” कह दिया था और उस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। यह बयान सामाजिक और धार्मिक रूप से काफी संवेदनशील माना गया, जिससे कई लोगों की भावनाएं आहत हुईं। अधिवक्ता अशोक कुमार ने इस बयान को टीवी पर देखा और इसे गंभीर बताते हुए पुलिस कमिश्नर को लिखित शिकायत सौंपी। इसके बाद कोर्ट में भी मामला दायर किया गया।
25 जनवरी 2023 को अधिवक्ता ने सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत अर्जी लगाई, लेकिन अक्टूबर 2023 में कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। इस फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने सत्र न्यायालय में आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर की, जिसे स्वीकार करते हुए पुनः सुनवाई का आदेश दिया गया। इसी के चलते 4 अगस्त 2025 को अदालत ने FIR दर्ज कर जांच शुरू करने का आदेश जारी किया है।
Swami Prasad Maurya का राजनीतिक सफर भी लगातार बदलावों से भरा रहा है। वह बसपा, भाजपा और सपा जैसे बड़े दलों में मंत्री पद पर रह चुके हैं। वर्ष 2022 में भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए और बाद में अपनी नई पार्टी ‘राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी’ बनाई। रामचरितमानस पर की गई उनकी विवादित टिप्पणी ने उन्हें पहले भी आलोचना का केंद्र बनाया था, और एक बार तो सार्वजनिक मंच पर उन्हें थप्पड़ भी मारा गया था।
कोर्ट के इस फैसले के बाद एक बार फिर यह मामला राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। अब देखना होगा कि जांच किस दिशा में जाती है और स्वामी प्रसाद मौर्य को इससे कितना राजनीतिक या कानूनी नुकसान उठाना पड़ता है। धार्मिक भावनाओं से जुड़ा यह मामला आने वाले दिनों में और भी तूल पकड़ सकता है।