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Wednesday, October 15, 2025
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    धर्मेंद्र यादव ने तोड़ा अपने बहनोई से रिश्ता, बीजेपी ने करहल से दिया बड़ा मौका

    UP By Election 2024: धर्मेंद्र यादव जो कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता रहे हैं, जिन्होने हाल ही में अपने बहनोई के साथ राजनीतिक मतभेदों के कारण रिश्ते खत्म करने का निर्णय लिया है। इस बड़े फैसले के पीछे मुख्य वजह भारतीय जनता पार्टी द्वारा उन्हें करहल सीट से उम्मीदवार बनाना है। यादव परिवार का करहल क्षेत्र में राजनीतिक प्रभाव रहा है, और धर्मेंद्र का इस क्षेत्र से बीजेपी का उम्मीदवार बनना एक बड़ी चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

    राजनीतिक टकराव की वजह से रिश्ते टूटे

    धर्मेंद्र यादव और उनके बहनोई के बीच लंबे समय से राजनीतिक मतभेद थे, जो धीरे-धीरे गहरे होते गए। धर्मेंद्र, जो पहले समाजवादी पार्टी से जुड़े थे, अब बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में सामने आए हैं। इस निर्णय ने उनके पारिवारिक संबंधों को प्रभावित किया है। धर्मेंद्र के बहनोई, जो भी राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे हैं, अब उनके प्रतिद्वंदी के रूप में देखे जा रहे हैं। यह दरार तब और गहरी हुई जब बीजेपी ने धर्मेंद्र को करहल सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया, जो यादव परिवार का गढ़ माना जाता रहा है।

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    चिट्ठी के जरिए हुआ खुलासा

    धर्मेंद्र यादव ने एक चिट्ठी जारी कर अपने रिश्ते की समाप्ति की जानकारी दी। इस चिट्ठी में उन्होंने साफ किया कि राजनीतिक करियर को प्राथमिकता देना उनकी मजबूरी थी। चिट्ठी में उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति और पारिवारिक रिश्तों के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो रहा था, जिसके चलते उन्हें यह कड़ा निर्णय लेना पड़ा। धर्मेंद्र ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके लिए पार्टी और राजनीतिक भविष्य पहले हैं, और उन्हें अपने पारिवारिक संबंधों को इस समय पीछे छोड़ना पड़ा।

    करहल में यादव वोट बैंक पर असर

    करहल सीट पर यादव परिवार का प्रभाव काफी गहरा है, और इस क्षेत्र में धर्मेंद्र का बीजेपी से चुनाव लड़ना एक बड़ा बदलाव हो सकता है। बीजेपी की योजना है कि धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाकर यादव वोट बैंक को अपनी ओर खींचा जाए। हालांकि, धर्मेंद्र के लिए इस क्षेत्र में चुनाव जीतना चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि यादव वोटर्स की वफादारी अब तक समाजवादी पार्टी के साथ रही है।

    यादव परिवार की आई प्रतिक्रिया

    यादव परिवार ने धर्मेंद्र के इस निर्णय पर निराशा जताई है, लेकिन उन्होंने इसे राजनीति का हिस्सा बताया। परिवार के अन्य सदस्यों ने कहा कि व्यक्तिगत रिश्तों पर राजनीति का प्रभाव पड़ता है, और यह निर्णय धर्मेंद्र के राजनीतिक करियर के लिए जरूरी हो सकता है।

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