UP मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में बड़े बदलाव, ऑन-स्पॉट पंजीकरण और डीएम की ड्यूटी अनिवार्य

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UP Mass Marriage Scheme: उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं ताकि योजना की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाई जा सके और धोखाधड़ी पर काबू पाया जा सके। अब से सामूहिक विवाह कार्यक्रमों में दूल्हा-दुल्हन का विवाह मौके पर ही ऑन-स्पॉट पंजीकृत किया जाएगा। इसके साथ ही विवाह पंजीकरण के काम की जिम्मेदारी जिले के एडीएम स्तर के अधिकारी को सौंपी जाएगी, जो इस प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। यह कदम शादी के दस्तावेजों की सत्यता सुनिश्चित करने और फर्जी मामलों को रोकने के लिए उठाया गया है।

अगर किसी सामूहिक विवाह कार्यक्रम में 100 से अधिक जोड़े शामिल होंगे तो उस समारोह में जिलाधिकारी (डीएम) की उपस्थिति अनिवार्य होगी। इसके अलावा, पूरे कार्यक्रम की वीडियोग्राफी भी की जाएगी ताकि किसी प्रकार की गड़बड़ी का पता लगाया जा सके और सभी कार्यों की पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही, इस वर्ष से बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था भी लागू की जाएगी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सभी लाभार्थी वास्तविक दूल्हा-दुल्हन ही हों।

UP सरकार ने यह भी सख्ती से कहा है कि यदि किसी व्यक्ति ने पहले शादी की है और फिर दोबारा सामूहिक विवाह योजना के तहत शादी करता पाया गया तो उस पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह नियम फर्जी लाभ प्राप्त करने वालों को रोकने के लिए बनाया गया है। योजना की शुरुआत 2017-18 में हुई थी और तब से अब तक कुल 4,77,680 जोड़ों की शादी कराई जा चुकी है, जिसमें सरकार ने लगभग 2378 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

हालांकि इस योजना के दौरान कुछ जगहों पर धोखाधड़ी के मामले भी सामने आए हैं। उदाहरण के लिए, बलिया जिले में पिछले साल 400 जोड़े फर्जी पाए गए थे, वहीं सुल्तानपुर में 12 फर्जी जोड़ों की पहचान हुई। गोरखपुर में तो एक ऐसा मामला भी सामने आया जहां भाई-बहन की फर्जी शादी कराई गई थी। इन सभी मामलों में दलालों की भूमिका रही है, जिन्होंने पहले से शादीशुदा जोड़ों को फर्जी दूल्हा-दुल्हन बनाकर योजना का लाभ दिलवाने की कोशिश की। इन फर्जी मामलों की जांच के बाद संबंधित जोड़ों को योजना का लाभ नहीं दिया गया।

इन घटनाओं के कारण सरकार ने योजना की जांच प्रक्रिया को और कड़ा कर दिया है। अब योजना का लाभ केवल उन्हीं पात्र जोड़ों को मिलेगा जो योजना के नियमों का सही तरीके से पालन करेंगे। यह कदम समाज में विवाह की पवित्रता और योजना की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है।

संक्षेप में, UP मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में किए गए ये बदलाव योजना को अधिक पारदर्शी, विश्वसनीय और कदाचित लाभार्थियों के लिए न्यायसंगत बनाने के उद्देश्य से हैं। इससे योजना के जरिए सामाजिक न्याय के लक्ष्यों को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सकेगा और धोखाधड़ी पर अंकुश लगेगा।