उत्तर प्रदेश विधानसभा में Raja Bhaiya का विवादित बयान, कहा- भारत का लोकतंत्र हिंदू बहुल्य होने की वजह से सबसे बड़ा

10
Raja Bhaiya

Raja Bhaiya News: उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रतापगढ़ के कुंडा से विधायक और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह, राजा भैया ने अपने भाषण के दौरान विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र इसलिए है क्योंकि यहां हिंदू बहुसंख्यक हैं। विधानसभा में अपने विचार साझा करते हुए राजा भैया ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां लोगों को धर्म देखकर निशाना बनाया गया, जाति को नहीं देखा गया। उनका यह भी कहना था कि भारत धर्मनिरपेक्ष इसलिए है क्योंकि यह हिंदू और सनातन बाहुल्य देश है।

Raja Bhaiya ने इमरजेंसी के दौरान संविधान की प्रस्तावना बदलने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि विश्व के किसी भी देश में ऐसा उदाहरण नहीं मिलता जहां संविधान की प्रस्तावना ही बदल दी गई हो। उनका तर्क था कि इमरजेंसी के समय जब देश में लोकतंत्र स्थगित था, तभी प्रस्तावना में बदलाव किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि सामान्य परिस्थितियों में, देशों में समय-समय पर संशोधन जरूर होते हैं, लेकिन प्रस्तावना बदलना दुर्लभ है।

भाषण के दौरान राजा भैया ने अहिंसा और धर्म पर भी अपने दृष्टिकोण रखे। उन्होंने कहा कि हमें स्कूल और किताबों में यह पढ़ाया गया कि ‘अहिंसा परमो धर्मः’, लेकिन इसके साथ की पंक्ति ‘धर्म हिंसा तथैव च’ को भी समझना जरूरी है। उन्होंने महाकुंभ में भीड़ प्रबंधन का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रयागराज में इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए, जितनी शायद मुख्यमंत्री गोरखपुर में नहीं देख पाए होंगे।

Raja Bhaiya ने अपने भाषण में यह भी स्पष्ट किया कि यह सत्र केवल सरकार या बजट पर धन्यवाद प्रस्ताव देने का अवसर नहीं था। उन्होंने कहा कि सरकार और नेता समय के साथ बदलते रहेंगे, लेकिन राष्ट्र सर्वोपरि है। उनका मानना था कि वर्तमान आधुनिक युग में भारत को विश्व गुरु बनाने और उसकी भूमिका पर गंभीर विचार की जरूरत है। उन्होंने 2047 तक देश की प्रगति और नेतृत्व के संदर्भ में दीर्घकालिक योजना की भी आवश्यकता पर जोर दिया।

इस पूरे भाषण में राजा भैया ने धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की सर्वोपरिता को मुख्य आधार बनाया। उनका दावा था कि बहुसंख्यक हिंदू होने के कारण ही भारत का लोकतंत्र इतना मजबूत और प्रभावशाली है। उन्होंने इमरजेंसी के दौर, संविधान में संशोधन और अहिंसा के सिद्धांतों का संदर्भ देते हुए समाज और राष्ट्र पर अपने विचार विस्तार से प्रस्तुत किए।