Banda Crime: बांदा जिले के चिल्ला थाना क्षेत्र में एक हैवानियत भरा मामला सामने आया है, जहां एक पड़ोसी युवक ने महज तीन साल की मासूम बच्ची का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया। यह घटना मंगलवार शाम की है, जब बच्ची घर के बाहर खेल रही थी। आरोपी ने इस मौके का फायदा उठाकर उसे जंगल की ओर ले गया और वहां उसके साथ जघन्य अपराध किया।
घटना के बाद आरोपी बच्ची को खून में लथपथ छोड़कर फरार हो गया। जब बच्ची घर नहीं लौटी तो परिजनों ने उसे ढूंढना शुरू किया। खोजबीन के बाद भी जब कोई सुराग नहीं मिला तो उन्होंने Banda पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने रात करीब 2 बजे जंगल से बच्ची को बुरी तरह घायल अवस्था में बरामद किया। उसी दौरान आरोपी को भागते हुए देखकर Banda पुलिस ने उसका पीछा किया और मुठभेड़ में उसे गिरफ्तार कर लिया।
Banda जिले के एसपी पलाश बंसल ने बताया कि आरोपी के पास से एक तमंचा और दो जिंदा कारतूस बरामद हुए हैं। मुठभेड़ के दौरान आरोपी के पैर में गोली लगी, जबकि पीड़ित बच्ची को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई का ऐलान किया है।
इसी बीच, रायबरेली में पुलिस ने दो पशु तस्करों को मुठभेड़ में घायल कर गिरफ्तार किया। यह घटना गुरुबख्शगंज क्षेत्र में घटी, जहां पुलिस ने एक संदिग्ध कार को रोकने का प्रयास किया। कार के सवारों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसके जवाब में पुलिस ने भी गोलीबारी की। इस दौरान दोनों आरोपियों के पैर में गोली लगी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान खलील और चांद के रूप में हुई है, जो फतेहपुर जिले के रहने वाले हैं। पुलिस के मुताबिक, ये दोनों गिरोहबंद तरीके से भैंस चोरी के मामलों में शामिल थे। आरोपियों के पास से अवैध हथियार और कारतूस भी बरामद हुए हैं।
बांदा की घटना ने एक बार फिर समाज में नाबालिगों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस प्रशासन ने ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई का दावा किया है, लेकिन यह घटना बताती है कि अभी भी बहुत कुछ सुधार की जरूरत है। स्थानीय लोगों ने घटना पर गहरा आक्रोश जताया है और आरोपी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है।
इधर, रायबरेली में पशु तस्करों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने इसे एक बड़ी सफलता बताया है। पुलिस का कहना है कि वह ऐसे आपराधिक तत्वों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। हालांकि, बांदा की घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए और अधिक सख्त कदम उठाने की जरूरत है।