BHU News: गुरुवार को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के महिला महाविद्यालय में एक हृदय विदारक घटना सामने आई, जहां एक 17 वर्षीय छात्रा प्राची की मौत ने यूनिवर्सिटी के आपातकालीन नियमों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्राचीन इतिहास की बीए सेकंड ईयर की छात्रा प्राची को हार्ट अटैक आया और वह बॉटनी डिपार्टमेंट के पास बेहोश होकर गिर पड़ीं।
इस त्रासदी की जड़ कॉलेज का एक अमानवीय नियम था: “छात्राओं को कोई पुरुष सुरक्षाकर्मी हाथ नहीं लगाएगा।”
प्राची के गिरते ही, साथी छात्राओं ने सहायता के लिए गुहार लगाई, लेकिन कॉलेज प्रशासन और सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत मदद करने के बजाय, इस नियम का हवाला देते हुए पहले महिला सुरक्षाकर्मी को खोजने में समय बर्बाद किया। छात्राओं ने आरोप लगाया कि बेहोश होने के आधे घंटे बाद एंबुलेंस आई। इस दौरान प्राची कॉरिडोर में पड़ी रहीं, और जीवन बचाने की तत्परता पर नियम हावी रहा।
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घटना की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जहां प्राची गिरीं, वहां से सर सुंदरलाल अस्पताल की इमरजेंसी की दूरी महज 250 मीटर थी। छात्राओं का स्पष्ट आरोप है कि यदि नियम को दरकिनार कर या तो तुरंत पुरुष स्टाफ द्वारा उन्हें अस्पताल पहुँचा दिया जाता, या एंबुलेंस को तुरंत बुलाया जाता, तो प्राची की जान बचाई जा सकती थी।
जब तक एंबुलेंस आई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया, डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
इस घटना के बाद, साथी छात्राएं उग्र हो गईं। उन्होंने कॉलेज प्रशासन, प्रिंसिपल और प्रोफेसरों के खिलाफ नारेबाजी की, आरोप लगाया कि इस नियम की अनदेखी ने प्राची की जान ले ली। छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन किया और मेन गेट के बाहर जाम लगा दिया। वे कैंपस में 24 घंटे एंबुलेंस सुविधा, नर्स की नियुक्ति और इमरजेंसी नंबर जैसी मांगों को लेकर अड़ी रहीं, जिसके बाद अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिए जाने पर ही प्रदर्शन शांत हुआ। यह घटना दर्शाती है कि जीवन-रक्षक परिस्थितियों में नियमों से अधिक जीवन को प्राथमिकता देना कितना आवश्यक है।