Dharali cloudburst: उत्तरकाशी जिले के Dharali गांव में मंगलवार को बादल फटने से जो तबाही मची, उसने एक बार फिर 2013 की केदारनाथ आपदा की भयावह यादें ताजा कर दीं। खीर गंगा नदी उफान पर आ गई और इतनी तेजी से बहने लगी कि कुछ ही पलों में बाजार, होटल और घर मलबे में बदल गए। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में लोग चीखते-चिल्लाते, जान बचाकर भागते नजर आए। कोई अपनों को फोन पर ढूंढता दिखा तो कोई पानी से जूझकर सुरक्षित जगह तक पहुंचने की कोशिश करता नजर आया।
इस भयावह मंजर को पास के मुखबा गांव के लोगों ने अपनी आंखों से देखा। गांव के 60 वर्षीय सुभाष चंद्र सेमवाल इस पूरी घटना के चश्मदीद रहे। उन्होंने बताया कि ऐसा दृश्य उन्होंने अपने जीवन में पहली बार देखा। उनके अनुसार दोपहर का समय था, जब उन्हें अचानक पानी के तेज बहाव और पत्थरों के गिरने की आवाजें सुनाई दीं। जैसे ही वह और उनका परिवार बाहर निकले, उन्होंने देखा कि खीर गंगा नदी उग्र रूप में बह रही थी।
सेमवाल बताते हैं कि उन्होंने तुरंत खतरे को भांपते हुए धराली बाजार के लोगों को अलर्ट करने के लिए सीटियां बजाईं और जोर-जोर से चिल्लाकर वहां से भागने को कहा। कई लोग उनकी चेतावनी सुनकर होटलों से बाहर निकल गए, लेकिन तेज बहाव ने उन्हें संभलने का मौका नहीं दिया।
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में देखा गया कि लोग घबराहट में एक-दूसरे को फोन कर रहे थे और कह रहे थे – “सब खत्म हो गया…”। धराली गंगोत्री यात्रा का अहम पड़ाव है, जहां कई होटल, होमस्टे और रेस्तरां हैं।
बचाव कार्य के लिए सेना, NDRF, ITBP और SDRF की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। सेना का हर्षिल कैंप घटना स्थल से मात्र 4 किलोमीटर दूर है। प्रशासन ने लोगों से नदी से दूर रहने की अपील की है।
लगातार भारी बारिश के चलते गंगोत्री हाईवे जगह-जगह बंद हो गया है। BRO युद्धस्तर पर सड़कें खोलने में जुटा है। बारिश के कारण हेलीकॉप्टर से राहत कार्य नहीं हो पा रहे हैं। सेना का कैंप भी इसकी चपेट में आया है और कुछ जवानों के लापता होने की खबर है।
Dharali के पास हर्षिल हेलीपैड भी जलभराव से प्रभावित हुआ है। उत्तरकाशी के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है और लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं।