Vasvi Tomar murder case: नैनीताल की ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली लखनऊ की 18 वर्षीय छात्रा वासवी तोमर की संदिग्ध हालात में मौत हो गई है। बीसीए सेकेंड ईयर में पढ़ रही वासवी के परिवार ने इस मौत को आत्महत्या मानने से इनकार कर दिया है और यूनिवर्सिटी प्रशासन व सीनियर छात्राओं पर हत्या का आरोप लगाया है।
परिजनों के मुताबिक, 30 जुलाई को पूरा दिन वासवी का फोन बंद रहा। देर शाम यूनिवर्सिटी से मां बीनू सिंह को सूचना मिली कि वासवी ने आत्महत्या कर ली है। मगर परिवार इसे केवल एक हादसा नहीं मान रहा।
Vasvi Tomar की मां का कहना है कि उनकी बेटी लगातार सीनियर छात्राओं की रैगिंग और धमकियों का सामना कर रही थी। 29 जुलाई को भी उसने फोन कर बताया था कि उसकी रूममेट की रैगिंग हो रही थी और जब उसने इसका विरोध किया तो उसे भी धमकाया गया। इतना ही नहीं, एक सीनियर छात्रा उसके कमरे में घुसकर उससे बहस करने लगी थी, जिसका वीडियो वासवी ने मां को भेजा था।
मां बीनू सिंह का साफ कहना है कि उनकी बेटी डर जरूर रही थी लेकिन वह आत्महत्या जैसा कदम उठाने वाली लड़की नहीं थी। उनका दावा है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है और लड़कियों को चुप कराया जा रहा है।
Vasvi Tomar के भाई आयुष सिंह का भी आरोप है कि यूनिवर्सिटी हॉस्टल में लड़कियों से संपर्क नहीं करने दिया जा रहा और उन्हें धमकाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह सामने आया है कि वासवी की मौत गला दबाने से हुई है, यानी यह आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या है।
परिजनों का यह भी कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन शुरू से ही मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा और लगातार जानकारी छुपाने की कोशिश कर रहा है। वहीं, छात्राओं के बयान लेने में भी देरी हो रही है।
अब परिवार ने पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर न्याय नहीं मिला तो वे उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाएंगे।
वासवी की मौत ने न केवल उसके परिवार को तोड़ दिया है, बल्कि पूरे समाज को झकझोर दिया है। यह मामला न केवल एक छात्रा की जान जाने का है, बल्कि उस सिस्टम पर सवाल है जो रैगिंग और उत्पीड़न जैसे मामलों को गंभीरता से नहीं लेता।