Nestle Baby Food Controversy : बेबी फूड में चीनी की मिलावट को लेकर देश में विवाद चल रहा है। नेस्ले बेबी फूड (Nestle Baby Food Controversy) के बाद अब बेबी फूड बनाने वाली अन्य कंपनियों के प्रोडक्ट की जांच की जाएगी। फूड रेगुलेटर FSSAI ने बाजार में मिलने वाले सभी बेबी फूड के सैंपल लेने शुरू कर दिए हैं। बता दें कि इन फूड में चीनी और नमक की मात्रा की जांच भी की जाएगी। फूड में कमी पाए जाने पर जुर्माने के साथ जेल का भी प्रावधान है।
सरकार ने FSSAI को लिखी चिट्ठी
आपको बता दें सरकार ने फूड रेगुलेटर को इस संबंध में एक चिट्ठी लिखी थी। उपभोक्ता मामले के मंत्रालय के सचिव ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी (FSSAI) को चिट्ठी लिखकर कहा कि पब्लिक आई की रिपोर्ट पर गंभीरता से जांच की जाए। नेस्ले के बेबी फूड (Nestle Baby Food Controversy) में मानक से अधिक चीनी और अन्य चीजें बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालेंगे। ऐसे में इस पर त्वरित कार्रवाई की जरूरत है।
जानिए क्या है पूरा मामला?
पब्लिक आई एंड इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया। रिपोर्ट में लिखा कि FMCG कंपनी नेस्ले भारत जैसे विकासशील देशों और निम्न आय वाले देशों में बच्चों के दूध और सेरेलेक जैसे प्रोडक्ट्स में ज्यादा चीनी और शहद जैसी चीजों का इस्तेमाल करता है। जबकि यही प्रोडक्ट्स ब्रिटेन, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और अन्य विकसित देशों में बगैर चीनी के बेचे जा रहे हैं।
इस बात का खुलासा तब हुआ जब स्विस जांच संगठन पब्लिक आई और आईबीएफएएन ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में कंपनी के बेचे जा रहे बेबी फूड प्रोडक्ट्स (Nestle Baby Food Controversy) के सैंपल्स को बेल्जियम की लैब में परीक्षण के लिए भेजा गया। जांच में सामने आया कि भारत में बिकने वाले नेस्ले के बच्चों से जुड़े उत्पादों की प्रति कटोरी (1 सर्विंग) में करीब 4 ग्राम चीनी पाई गई।
इस रिपोर्ट में कहा गया कि सबसे ज्यादा फिलीपींस में 1 सर्विंग में 7.3 ग्राम शुगर मिली है। वहीं, नाइजीरिया में 6.8 ग्राम और सेनेगल में 5.9 ग्राम शुगर बेबी फूड्स में मिले हैं। वहीं 15 में से सात देशों ने प्रोडक्ट मे शुगर होने की जानकारी ही नहीं दी है। हालांकि स्विट्जरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों में बिकने वाले नेस्ले के इन्हीं प्रोडक्ट्स में चीनी नहीं पाई गई।